- नगर निगम के विद्युत विभाग में हुआ बड़ा खेल

-254 की जगह मात्र 100 रुपए रोजाना का हुआ भुगतान

-आई नेक्स्ट ने पूर्व पार्षद के साथ किया स्टिंग

- जिम्मेदार अधिकारी देते हैं कर्मचारियों को गाली

-दोषियों पर कार्रवाई के बजाय कराया गया समझौता

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: आप इस शहर के बाशिंदे हैं, इसलिए आप के लिए ये जानना जरूरी है कि आपके नगर निगम में क्या खेल चल रहा है। किस तरह से यहां आउटसोर्सिग पर रखे गए कर्मचारियों को दिया जाता है आधे से कम रकम और बाकी हिस्सा खा जाते हैं अधिकारी व कर्मचारी। बिजली विभाग के कर्मचारियों के साथ दो-तीन साल से यही हो रहा था। ख्भ्ब् रुपए पर डे के हिसाब से दिया जाना था, लेकिन नगर निगम का बिजली विभाग केवल क्00 रुपए ही दे रहा था। कर्मचारियों ने नगर आयुक्त और विधि सलाहकार से गुहार लगाई। इस पर अधिकारियों ने मामले की जांच कराने, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय दबाव बनाकर कर्मचारियों से समझौता करा लिया। समझौते के आधार पर नगर निगम के ही एक पूर्व पार्षद ने आईनेक्स्ट के साथ मिलकर किया स्टिंग। स्टिंग में सामने आई क्या-क्या हकीकत आइए हम आपको बताते हैं

सहायक अभियंता विद्युत एवं यांत्रिक अनिल रंजन को पूर्व पार्षद ने कॉल किया तो उन्होंने क्या कहा, जरा देखिए

पूर्व पार्षद- अनिल रंजन जी आप ड्राफ्टिंग बहुत बढि़या कराते हैं। ख्भ्ब् रुपए की जगह क्00 रुपए कई साल तक भुगतान करते हैं फिर समझौता कराते हैं।

रंजन- हम काहे ड्राफ्टिंग कराएंगे, हमसे कहा गया लिख दो, हमने लिख दिया।

पूर्व पार्षद- लेकिन कर्मचारियों का तो नुकसान हो गया न।

रंजन- अरे उसी को तो ठीक कराने की कोशिश की जा रही है।

पूर्व पार्षद- किसने खाया है कर्मचारियों का पैसा, ठेकेदार ने खाया है या बिजली विभाग के अधिकारी खाए हैं?

रंजन- अरे सबै लोग खाए हैं भाई। आप जो हैं ऐसी छोटी-छोटी बात को लेकर को जो है, का बताएं जो है।

पूर्व पार्षद- रंजन जी दोपहर में आदमी धूप में काम करेगा। ख्भ्ब् की जगह क्00 रुपए देंगे, क्या ये ठीक है? क्या ये छोटी बात है?

रंजन- अरे उसी बात को ठीक करने प्रयास किया जा रहा है।

पूर्व पार्षद- तीन महीने का ही डिफरेंस क्यों?

रंजन- प्रयास कर रहे हैं। भाई साहब। पहले का मामला मेरे आने से पहले का है। अरे आप अब यही करिए। डिपार्टमेंट पर थोड़ा रहम करिए। अरे छोडि़ए उस मैटर को।

पूर्व पार्षद- काहे छोड़ें हम, आप गरीब को निकाल देंगे।

रंजन- नहीं ऐसा नहीं होगा। नया टेंडर हो गया है। नए टेंडर से डिफरेंस दिया जाएगा। थोड़ा टाइम तो दीजिए। आप आइए, जरा चाय-पानी कीजिए। जो बतिया आप कह रहे हैं, वो तो हर जगह लागू होती है।

पूर्व पार्षद- अनिल जी ठेकेदार से तो ख्भ्ब् रुपए लिया गया होगा?

रंजन- अरे वो तो सारी बात तो हर जगह है, कार्यशाला में भी यही होता था, टैक्स विभाग में भी यही होता है। नया तरीका बनाया गया है।

पूर्व पार्षद- ख्भ्ब् में इंजीनियर और नजूल विभाग के लोग भी हिस्सा लेते होंगे?

रंजन- अरे भाई साहब आप आइए, फोन पर ये सब बातें करनी ठीक नहीं है। आइए तो बैठ कर बात होगी। हर चीज अंडरस्टुड है। उन लड़कों को हम खुद देख लेंगे, कराएंगे। इनका एकाउंट खुल जाएगा, बीमा हो जाएगा। सब हो जाएगा। पिछला जितना ज्यादा मैक्सिमम हो सकेगा हम करा देंगे।

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विधि सलाहकार एवं प्रभारी अधिकारी से भी इस संबंध में पूर्व पार्षद ने की बात- तो उन्होंने क्या कहा, जरा देखिए

पूर्व पार्षद- अरे यादव जी, बिजली विभाग के लेबर जो आए थे क्या हुआ उनका?

एसएल यादव- जांच करके भेज दिए हैं। गड़बड़ तो हुआ है। ठेकेदारों ने पूरा पैसा नहीं दिया है।

पूर्व पार्षद- कैसे देंगे गरीबों को पैसा?

एसएल यादव- ठेकेदार पैसा देने को कह तो रहे हैं।

पूर्व पार्षद-आपकी उपस्थिति में समझौता हुआ है क्या कि तीन महीने का डिफरेंस दिया जाएगा।

एसएल यादव- तीन महीने क्यों पूरा देंगे तब समझौता होगा। मेरे सामने बात हुई थी तो मैने कहा था कि पूरा दीजिए।

पूर्व पार्षद- बहुत से कर्मचारी ऐसे हैं जो दो साल से तीन साल से काम कर रहे हैं, उनका डिफरेंस कितना हो जाएगा?

एसएल यादव- अरे ये कर्मचारी कम हैं क्याये तो बहुत(गाली देते हुए) बिजली का सामान चोरी करते थे।

पूर्व पार्षद- तो क्या अधिकारी नहीं जानते कि कर्मचारी चोरी करते हैं।

एसएल यादव- अधिकारी ये जानते हैं। इसीलिए तो कम पैसा दिया जा रहा है।

ये कर्मचारी(गाली देते हुए) तीन साल से काम कर रहे थे। तो आवाज क्यों नहीं उठाए। अरे वो गरीब नहीं बड़े शातिर हैं। आप उनके चक्कर में न पडि़ए। ऐसे लोगों की मदद कौन करेगा।

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अधिशासी अभियंता विद्युत एवं यांत्रिक मोहन जी पांडेय को कॉल किया तो उन्होंने क्या कहा, जान लीजिए

पूर्व पार्षद- अरे पांडेय जी आप गरीबों का भला क्यों नहीं करते हैं।

मोहन जी- नहीं-नहीं सब भला हो गया। मैंने बैठा करके ठेकेदारों से सब पास करा दिया।

पूर्व पार्षद- समझौता करा दिया, लेकिन डिफरेंस तो तीन महीने का ही है।

मोहन जी- अरे भाईसाहब, सब हो जाएगा। उनके आगे के लिए मैंने सारी फाइल तैयार करा दी है। आठ हजार रुपए तय करा दिया और उसका एकाउंट खुलवा दिया। एकाउंट में पैसा जाएगा।

पूर्व पार्षद- लेकिन साल-दो साल से पैसा कम मिल रहा है, उसका क्या?

मोहन जी- अरे ये बताई, ये बताइए। हमने इतना करा दिया उन लोगों का सब कुछ मिलवा दिए, ये कम है। आगे का फ्यूचर ठीक कर दिए।

पूर्व पार्षद- ये तो ठीक है, लेकिन पिछला कौन देगा। इसका जिम्मेदार कौन है। ठेकेदार ने पैसा नहीं दिया है, या फिर विभाग में बटा है। उसे दिलवाइए।

मोहन जी- ठेकेदार को हमने कह दिया है कि बेटा तुम लोग इन लोगों का जितना बने, सब निपटा दो तो आज सब लोग बैठे हैं। काम हो रहा है।

पूर्व पार्षद- मेरे संज्ञान में आया है कि तीन महीने का समझौता हुआ है।

मोहन जी-अरे सुनिए न भाई साहब, अभी नगर आयुक्त जी के पास बैठे हैं। दस मिनट में आपको फोन करते हैं कहते हुए फोन काट दिया।

क्या कहते हैं नगर आयुक्त

नगर आयुक्त देवेंद्र कुमार पांडेय से पूछा गया कि बिजली विभाग में आउट सोर्सिग पर रखे गए कर्मचारियों को पिछले डेढ़-दो साल से ख्भ्ब् रुपए पर डे की जगह क्00 रुपए दिया जा रहा था। उसमें क्या हुआ? तो नगर आयुक्त ने कहा पता नहीं। मुझे जानकारी नहीं है। फिर पूछा गया कि सुनने में आया था कि कुछ दिनों पहले आप ही की मौजूदगी में समझौता हुआ था कि कर्मचारियों को तीन महीने का डिफरेंस दिया जाएगा, तो नगर आयुक्त ने कहा, नहीं ऐसा नहीं है। वो हमारे विधि सलाहकार (एलए) हैं शिवलखन यादव। आउटसोर्सिग वही देखते हैं, वो आपको बता देंगे। मेरी जानकारी में नहीं है।

एलए शिवलखन यादव को कॉल किया गया, लेकिन उनका मोबाइल फोन स्विच ऑफ मिला। बात नहीं हो सकी।

वर्जन-

हां कुछ कर्मचारियों ने मानेदय को लेकर शिकायत थी। मामला आया था। मैंने मामले में समझौता करा दिया है। किसी को अब कोई दिक्कत नहीं है। नगर आयुक्त के संज्ञान में भी पूरा मामला है।

मोहन जी पांडेय

अधिशासी अभियंता

विद्युत-यांत्रिक

ये हैं वो कर्मचारी- जिन्होंने की थी शिकायत और दबाव में समझौता पत्र पर किया हस्ताक्षर

- सुरेंद्र कुमार, गौरव गौड़, संदीप कुमार शर्मा, सच्चिदानंद, सुमित मिश्रा, प्रमोद कुमार, जितेंद्र कुमार, फैजान, संदीप कुमार, संजय कुमार, मिथुन कनौजिया, लालचंद, विनय, सलाउद्दीन, सोनू कुमार रावत, बलवीर कुमार, साबिर हुसैन, मनीष यादव, राजकुमार, अशोक कुमार पाल, अवनीश कुमार तिवारी, सुखराम यादव, जाहिद अब्बास, मदन पाल, हरिओम शुक्ला, लखन लाल गौड़।