9 महीनों में और बढ़े ऐसे विलफुल डिफाल्टर

वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने संसद को बताया कि चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 9 महीनों में विलफुल डिफाल्टरों की संख्या में 1.66 फीसदी बढोतरी हुई है। ऐसे लोगों के पास कर्ज चुकाने की क्षमता होने के बावजूद वे बैंकों का लोन नहीं चुकता कर रहे हैं। इनकी संख्या 9 हजार से ज्यादा है। इन पर सरकारी बैंकों का कुल 1.10 लाख करोड़ रुपये बकाया है।

लोन न चुकाने वालों पर आपराधिक कार्रवाई

भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार, जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों के खिलाफ आराधिक कार्रवाई और दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि भारतीय बाजार नियामक सेबी ने भी जानबूझकर लोन न चुकाने वालों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। पूंजी जुटाने के लिए कंपनियों के प्रमोटर्स और निदेशक बाजार में अपनी पहुंच बना रहे हैं।

दिवाला और दिवालियापन कोड 2016 में बदलाव

पैसे होने और क्षमता होने के बावजूद जानबूझकर लोन न चुकाने वाले दिवालिया होने के लिए आवेदन न कर सकें इसलिए सरकार ने दिवाला और दिवालियापन कोड 2016 में बदलाव किए हैं। यह संशोधन प्रभावी कर दिया गया है। दिसंबर 2017 तक ऐसे 2108 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई है। जानबूझकर बैंकों से कर्ज लेकर धन दबाए बैठे लोगों से वसूली के लिए 8462 मुकदमे भी दायर किए गए हैं।

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