पाकिस्तान में सरबजीत के वकील ओवैस शेख़ ने बीबीसी से हुई बातचीत में इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि सरबजीत की हालत 'अत्यधिक गंभीर है'.

उन्होंने कहा, "सोमवार सुबह लाहौर में चिकित्सकों के एक बोर्ड ने ये फैसला किया कि सरबजीत सिंह को, उनके परिजनों की इच्छा के विपरीत, इलाज के लिए विदेश या भारत ले जाए जाने की ज़रूरत नहीं है."

ओवैस शेख़ के अनुसार, "पाकिस्तान के राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 45 के तहत माफ़ी देने के बाद ही सरबजीत को इलाज के लिए बाहर ले जाना संभव हो सकता है. अभी सरबजीत की हालत बेहद नाज़ुक है और वे बेसुध पड़े हुए हैं."

हालत

सरबजीत सिंह पर शुक्रवार को पाकिस्तान की एक जेल में हमला किया गया था जिसके बाद से उनकी हालत गंभीर बनी हुई है.

सरबजीत के मस्तिष्क में अंदरुनी रक्तस्राव हुआ है.

लाहौर के जिन्नाह अस्पताल में उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनकी हालत स्थिर नहीं हो जाती, उनकी सर्जरी नहीं की जा सकती.

इस बीच भारत ने पाकिस्तान के सामने सरबजीत के इलाज की पेशकश की थी.

इसके तुरंत बाद भारत के पंजाब में रहने वाले सरबजीत सिंह के परिजनों को पाकिस्तान जाकर सरबजीत सिंह से मिलने की इजाज़त मिल गई थी और रविवार को उन्होंने सरबजीत को अस्पताल जाकर देखा था.

मामला

सरबजीत सिंह को 1990 में पाकिस्तान के लाहौर और फ़ैसलाबाद में हुए चार बम धमाकों के सिलसिले में गिरफ़्तार किया गया था.

इन धमाकों में कम से कम 10 लोग मारे गए थे. पाकिस्तान में सरबजीत सिंह को मनजीत सिंह के नाम से गिरफ़्तार किया गया था.

अपने बचाव में सरबजीत ने तर्क दिया था कि वो निर्दोष हैं और भारत के तरन तारन के किसान हैं. ग़लती से उन्होंने सीमा पार की और पाकिस्तान पहुंच गए.

लेकिन लाहौर की एक अदालत में उनपर मुक़दमा चला और 1991 में अदालत ने उनको मौत की सज़ा सुनाई.

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