उन्होंने श्रीरामचरितमानस को आम बोलचाल की भाषा में लिखा
<उन्होंने श्रीरामचरितमानस को आम बोलचाल की भाषा में लिखा
BAREILLY:
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अवधी भाषा में तुलसीदास रचित 'श्रीरामचरितमानस' को आम बोलचाल की भाषा में लिखने वाले 'राधेश्याम कथावाचक' को गुजरे हुए करीब भ्ख् वर्ष हो चुके हैं। क्7 वर्ष की आयु में रचित 'रामायण' ने बरेली का झंडा देश और विदेशों में बुलंद किया। संगीतमयी, लय छंदों का बेहतर प्रयोग और सुगढ़ रचना गेयपद होने से रचित रचनाओं को आम जनमानस ने सहश्र स्वीकार कर लिया। जिसने पं। राधेश्याम को 'वाचस्पति राधेश्याम कथावाचक' का खिताब दिलाया।
यूं मिली प्रेरणा
जनश्रुति है कि राधेश्याम कथावाचक हनुमान जी के चित्र के सामने 'श्रीरामचरितमानस' को आम बोलचाल की भाषा में लिखते थे। जिससे उन्हें आध्यात्मिक प्रेरणा मिलती थी। चूंकि लिखित रामायण साधारण बोलचाल में और गेयपद से लैस थी। ऐसे में लोग भी इसे अपनाने लगे थे। इसे और अधिक प्रकाशित कराने के लिए प्रेस की स्थापना की। कीमत केवल क्फ् रूपए रखी ताकि आम लोगों तक इसकी पहुंच हो सके। शुरुआत में इसकी लोकप्रियता इतनी अधिक थी, कि जगह जगह रामलीला का मंचन इसी रामायण के ऊपर ही किया जाने लगा। बाद में जीवन काल में रामायण, कृष्णायन, शिवचरित्र व अन्य क्फ् नाटकों का लेखन कार्य किया। रचित रामायण नाटक का आज भी रामलीला में मंचन किया जाता है।
नाम - पं। राधेश्याम कथावाचक
जन्म - ख्भ् नवंबर क्890
देहावसान - ख्म् अगस्त क्9म्फ्