-विश्व कैंसर दिवस पर आयोजित वर्कशॉप में कैंसर रोकने पर हुआ मंथन

स्ढ्ढङ्खन्हृ/क्कन्ञ्जहृन्: आयुर्वेद के नए शोध में यह सामने आया है कि आम जन-जीवन में पपीते के पत्ते का प्रयोग और सही दिनचर्या से कैंसर को रोका जा सकता है। यह बातें डॉ केडी रंजन ने विश्व कैंसर दिवस पर रविवार को सिवान के मालवीय नगर में आयोजित कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि दुनिया में हर वर्ष कैंसर से करीब 88 लाख लोगों की मौत होती है। दुनियाभर के शोधकर्ता इसे रोकने में लगे हैं। आयुर्वेद के शोध छात्रों ने कैंसर रोकने में पपीते के पत्ते के प्रयोग को महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि भारत में 7 लाख लोग हर साल कैंसर से मरते हैं। फिलहाल पपीते का प्रयोग प्लेटलेट्स कम होने पर डेंगू या वायरल बुखार में लाभदायक है।

प्रॉटीन को तोड़ता है पपीन

बताया गया कि नए शोध के अनुसार पपीते का पंचाग अर्थात् फूल, पत्ता, फल, बीज और जड़ का प्रयोग अलग-अलग विधियों से किया जा रहा है। पपीते के पत्ते से काइटोकाइनेज की उत्पादकता बढ़ती है जो हमारे इम्यून तंत्र को मजबूत करता है। इसमें पपीन नामक एंजाइम होता है जो प्रोटीन को तोड़ने का काम करता है। यह कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने नहीं देता है।

सिर्फ कैंसर सेल को मारता है पत्ता

शोध छात्रों ने बताया कि फिलहाल कैंसर का इलाज किमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी के माध्यम से किया जाता है। इससे कैंसर कोशिकाओं के साथ नमील कोशिकाएं भी नष्ट हो जाती हैं। रोगियों में खून की कमी, शरीर का लाल होना, वमन आदि लक्षण सामने आते हैं जबकि पपीते का पत्ता केवल कैंसर सेल को मारता है और नॉर्मल सेल पर साइड इफेक्ट नहीं पड़ता है।

आहार-विहार भी कारगर

साथ ही आयुर्वेद के अनुसार आहार-विहार भी हमारे इम्यून तंत्र को मजबूत करता है जिससे कैंसर पर नियंत्रण होने लगता है और पेशेंट की उम्र 20 से 30 साल बढ़ जाती है। कार्यशाला में डॉ प्रभु, डॉ अजय कुमार, डॉ पंकज कुमार, डॉ अमित कुमार, डॉ अभयचंद्र और डॉ मनोज ने भी अपनी बातें रखी।