- एक मंथ के पेपर में चाइल्ड वॉयस का हो रहा ट्रैकिंग

- आई नेक्स्ट सहित दर्जनों पेपर पर एमएमसी में चल रहा रिसर्च

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PATNA: मगध महिला कॉलेज में चाइल्ड एण्ड वीमेन डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में पीजी डिप्लोमा की स्टूडेंट्स मीडिया द्वारा चाइल्ड वॉइस को दिए जा रहे स्पेस पर रिसर्च कर रही हैं। यूनिसेफ के सपोर्ट से चलने वाले मीडिया ट्रैकिंग ऑफ चाइल्ड वॉयसेस इन मीडिया टॉपिक पर स्टूडेंट्स रिसर्च करेंगी। सोशियोलॉजी डिपार्टमेंट हेड डॉ रेणु रंजन ने प्रोजेक्ट के बारे में बताया कि पटना के एक दर्जन न्यूज पेपर में क् सितंबर से फ्0 सितंबर के बीच के टाइम का स्टडी किया जा रहा है। प्रोजेक्ट पर रिसर्च कर रही मेघा श्री ने बताया कि हम महीने भर के पेपर को देखते हैं। उनमें प्रोजेक्ट से संबंधित न्यूज को पहले एक जगह डेट वाइज अरेंज करते हैं। शिल्पी ने बताया कि प्रोजेक्ट में हम इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि चाइल्ड वॉयस को सोसाइटी में कैसे प्लेसिंग दिया जा रहा है।

छह ग्रुप क्ख् पेपर के कंटेंट को खंगालेंगे

स्टूडेंट्स आई नेक्स्ट सहित क्ख् पेपरों के कंटेंट पर रिसर्च कर रहे हैं। इन पेपरों में सात पेपर हिंदी के, तीन इंग्लिश एवं दो उर्दू के शामिल हैं। रिसर्च में डे-बाय-डे पेपर वाइज चाइल्ड वॉयस पर रिसर्च किया जाएगा। इसकेअंतर्गत देखा जा रहा है कि चाइल्ड से संबंधित कितने न्यूज एवं फोटो को कितना-कितना स्पेस दिया जा रहा है। इन खबरों को किस पेज पर प्लेसमेंट किया जा रहा है। कितनी खबरें बायलाइन हैं, कितनी एडिटोरियल है। कितनी खबरें एवं एड किस फिल्ड से हैं जैसे हेल्थ, एजुकेशन, प्रोटेस्ट आदि।

बच्चों के वॉयस पर ध्यान दें पॉलिसीमेकर

यूनिसेफ की एडवोकेसी एवं कम्यूनिकेशन स्पेशलिस्ट निपुन गुप्ता स्टूडेंट्स को रिसर्च में गाइड कर रहीं हैं। श्रीमती गुप्ता ने बताया कि घर, सोसाइटी, स्टेट व सेंट्रल लेवल पर चाइल्ड के बारे में बातें होती हैं। पॉलिसी बनते हैं या डिसीजन लिया जाता है, लेकिन उनके व्यू या वॉयस को प्राय: प्लेस नहीें दिया जाता है। यह ट्रेंड थोड़ा-बहुत मीडिया में भी है। नेशनल चाइल्ड पॉलिसी में चाइल्ड को कई अधिकार मिला हुआ है। इसमें बच्चों को अपना वॉयस रखने का हक दिया गया है। बच्चों के वॉयस को हर प्लेटफार्म पर सुन-समझ कर पॉलिसी बनाना एवं इंप्लीमेंट करने से बेस्ट सोसाइटी का निर्माण किया जा सकता है। साथ ही अविनाश उज्ज्वल स्टूडेंट्स को गाइड कर रहे हैं।

प्रोजेक्ट में चाइल्ड एवं एडॉलशन के वॉयस को मीडिया में कितना प्लेस दिया जा रहा है, इसे स्टूडेंट्स डे-बाय-डे ट्रेक कर रहे हैं। चाइल्ड वॉयस पर काम किया जा रहा है।

- डॉ रेणु रंजन, प्रोजेक्ट गाइड एवं हेड, सोशियोलॉजी, एमएमसी