-मुख्य सचिव ने कहा, अभी सीधे नहीं हो सकता समायोजन

-मांगों पर होगा सकारात्मक विचार, गठित होगी कमेटी

-कमेटी 60 दिनों में देगी रिपोर्ट, जिसके बाद सरकार लेगी फैसला

रांची : स्कूलों के विलय के विरोध, स्थायीकरण तथा समान काम के लिए समान वेतन सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सोमवार से मुख्यमंत्री आवास का घेराव कर रहे पारा शिक्षकों ने अपना आंदोलन दो माह के लिए स्थगित कर दिया है। मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी व अन्य विभागीय पदाधिकारियों के साथ हुई वार्ता तथा मंगलवार को इसे लेकर लिखित सहमति पत्र मिलने के बाद एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने इस संबंध में निर्णय लिया। मोर्चा के संजय दुबे तथा ह्रषिकेश पाठक ने कहा कि वार्ता में बनी सहमति के आधार पर पारा शिक्षक मंगलवार शाम से ही वापस अपने घर लौट जाएंगे।

मांगों पर होगा विचार

इधर, वार्ता के क्रम में मुख्य सचिव ने पारा शिक्षकों को स्पष्ट कह दिया कि वर्तमान संदर्भ में सीधे नियमित शिक्षक के रूप में उनका समायोजन संभव नहीं है। हालांकि उन्होंने पारा शिक्षकों को आश्वस्त किया कि उनकी मांगों के प्रति सकारात्मक रूख रखते हुए सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा। उन्होंने शिक्षा विभाग तथा झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सभी मांगों को गहनता से देखें तथा इसके अनुपालन की स्थिति में आनेवाले तथ्यात्मक परिणामों की विवेचना करें। मुख्य सचिव ने पारा शिक्षकों की मांगों को लेकर कमेटी गठित करने पर भी सहमति दी है। यह कमेटी 60 दिनों में सरकार को रिपोर्ट देगी, जिसके आधार पर सरकार निर्णय लेगी। इसमें पारा शिक्षकों का भी तीन सदस्य होगा। एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने इसके लिए ह्रषिकेश पाठक, सिंटू सिंह तथा बजरंग प्रसाद को नामित किया है। खबर लिखे जाने तक कमेटी का गठन नहीं हुआ था। अलबत्ता पारा शिक्षकों ने मुख्य सचिव के साथ हुई वार्ता में बनी सहमति का लिखित पत्र मिलने के बाद अपना आंदोलन वापस ले लिया।

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पारा शिक्षकों ने ये रखी थी मांगें

-स्थायीकरण

-60 वर्ष की उम्र तक सेवा

-अन्य राज्यों की तरह वेतनमान की सुविधा

-भविष्य की सुरक्षा के साथ-साथ परिवार की सुरक्षा।

-टेट उत्तीर्णता प्रमाणपत्र की समय सीमा का विस्तार सीबीएसई की टेट परीक्षा के समतुल्य हो।

-पुराने पारा शिक्षकों को अनुभव के आधार पर नियुक्ति में वरीयता, जैसा स्वास्थ्य विभाग में लागू है।

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