Meerut। आज के परिवेश में बच्चों को पढ़ाई के साथ ही अच्छे संस्कार, अच्छी सभ्यता और संस्कृति पर विशेष जोर देने की आवश्यकता है। जिस तरह के हमारे बच्चे पाश्चात्य सभ्यता की तरफ भाग रहे हैं उसे देखते हुए यह समय की सबसे पहली मांग हैं। इसमें जितनी महत्वपूर्ण भूमिका स्कूलों, शिक्षकों की है उतनी ही जिम्मेदारी अभिभावकों की भी है। अभिभावकों को भागदौड़ भरी जीवनशैली से हटकर अपने बच्चों की ओर पूरा ध्यान देना चाहिए। जरूरी है कि पैरेंट्स अपने बच्चों से संवाद स्थापित करें। उन्हें अपने शास्त्र, धर्म के साथ ही इतिहास व अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े महापुरूषों के बारे में बताएं। यह भी जरूरी है कि अभिभावक भी खुद में बदलाव लाएं और बच्चों को जीवन के महत्व के बारे में जानकारी दी। स्कूल में बच्चों को जो जानकारी दी जा रही हैं उन्हें दोहराएं ताकि वह जान सकें की बच्चा किस दिशा में जा रहा है। शिक्षकों के साथ ही अभिभावकों के लिए भी जरूरी है कि वह बच्चे के मनोविज्ञान को समझे । चूंकि हर बच्चे का मानसिक स्तर अलग-अलग होता है ऐसे में बच्चे के व्यक्तित्व को पूरी तरह से निखारने के लिए दोनों ही तरफ से उसे तराशना जरूरी है तभी वह जीवन में पूरी तरह से सफल हो पाएगा। आजकल के बच्चों पर टीवी के साथ ही इंटरनेट का प्रभाव पूरी तरह से व्याप्त हो गया है। एक तरह से देखे तो हमारे बच्चें इनकी गिरफ्त में हैं। इस कैद को देखने के बावजूद अभिभावक इसकी अनदेखी कर दे रहे हैं जो सही नहीं हैं। बच्चों के नैतिक विकास में यह अवरोध कितना खतरनाक हो सकता है। इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है। ऐसे में अभी वक्त रहते बच्चों को अगर रोक लिया जाएं तो हम ऐसे विध्वंस युग को रोकने में कामयाब हो जाएंगे जिसकी नींव पाश्चात्य संस्कृति हमारे देश में काफी पहले ही रख चुकी है।

संजीव अग्रवाल, प्रिंसिपल

मेरठ पब्लिक स्कूल