जबर्दस्त स्वाद

नील्सन ने इससे पहले भी बीते साल ऑल इंडिया लेवल पर पारले-जी बिस्िकट को लेकर सवे किया था। जिसमें पारले-जी कंपनी शेयर के मामले में ब्रिटानिया से 0.5 फीसदी पीछे जरूरी थी लेकिन बिक्री के मामले में पारले-जी नंबर वन थी। बेहतर स्वाद और क्वालिटी की वजह से आज यह भारत ही नहीं विदेशों में भी लोगों की पसंद में शामिल है। भारत में यह हर गांव हर शहर में उपलब्ध है। सबसे खास बात तो यह है कि आज भी इतनी मंहगाई के दौर में यह एक आम आदमी के बजट में आसानी से अपनी जगह बनाए है। 2 और 5 रुपये में लोगों को जबर्दस्त स्वाद मिलता है। हालांकि इसका 50 रुपये तक का पैकेट आता है।

चौथा बड़ा बाजार

यही सारी वजहे हैं जिसकी वजह से यह बिस्किट देश और दुनिया में नंबर 1 की पोजीशन में है। पारले कंपनी हर माह 100 करोड़ पारले-जी बिस्किट का पैकेट तैयार करती है, तभी हर एक सेकेंड में करीब 4.5 हजार लोग इस बिस्किट को खा रहे हैं। अकेले भारत में इसके करीब 60 लाख से अधिक रिटेल स्टोर हैं। बिस्िकट के मामले में चीन दुनिया का चौथा बड़ा बाजार माना जाता है, लेकिन जितना वहां साल भर में बिस्िकट खाया जाता है उतना भारत में पारले जी का प्रोडक्शन है। सबसे खास बात तो यह है कि सॉस, टॉफी, केक जैसे कई अन्य प्रोडक्ट भी बनाने वाली पारले-जी कंपनी को 50 फीसदी रेवेन्यू सिर्फ पारले-जी से हासिल होता है।

बचपन की फोटो

पारले प्रोडक्ट्स आजादी से पहले 1929 में देश में स्थापित हो गया था। इसकी शुरुआत मुंबई में मिठाइयों और टॉफियों के एक छोटे-से कारखाने के तौर पर शुरू की गई थी। इसके बाद कंपनी ने इसके बिस्िकट का प्रोडक्शन शुरू किया। इसके नाम के पीछे भी एक बड़ी कहानी है। मुंबई के विले पार्ले इलाके से इसकी शुरुआत होने से इसे यहीं के विले पार्ले रेलवे स्टेशन के नाम पर इसका नाम रखा गया। पारले-जी कंपनी का स्लोगन जीनियस है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस बिस्कुट के पैकेट पर छपी बच्चे की फोटो के बारे में चर्चा होती रहती है कि आखिर यह बच्चा कौन है। कोई इसे लड़की तो कोई इसे लड़का कहता है। बहुत से लोग तो यहां तक कहते हैं कि नीरू देशपांडे के बचपन की फोटो है। जब कि ऐसा कुछ नहीं यह 1979 में बनाई गई एक एनिमेटेड पिक्चर है।

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