बरेली: आग का गोला बनी बस में यात्री ऐसे फंसे कि न तो कोई आसपास और न पुलिस उन्हें बाहर निकालकर बचा सकी। यात्री बस के अंदर जलते रहे और बाहर पुलिस अधिकारी देखते रह गए। फायर ब्रिगेड के मौके पर पहुंचने और आग बुझाने तक काफी देर हो चुकी थी। फिर तो बस अंदर से लाशें ही निकलीं। सूचना पर आईजी एसके भगत, एसएसपी जोगेंद्र कुमार व अन्य अधिकारी भी पहुंचे, लेकिन चाहकर भी बस के अंदर जल रहे लोगों को नहीं बचा सके।

कोतवाली थाना में राउंड लेकर मैं आवास के लिए ही निकल रहा था, कि वायरलेस पर मेसेज हुआ कि ट्रक की टक्कर से बस में आग लग गई है और कुछ लोग खिड़कियों से कूदकर चिल्ला रहे हैं। तुरंत ड्राइवर को मौके पर चलने के लिए कहा। जब मौके पर पहुंचा तो बस में आग लगी हुई थी। जब तक फायर ब्रिगेड नहीं पहुंची तब तक अंदर जाना ही नहीं हुआ और कई यात्री जलकर मर गए।

रोहित सिंह सजवान, एसपी सिटी बरेली

मैं बिथरीचैनपुर फ्लाईओवर के नीचे ड्यूटी पर मौजूद था। इसी दौरान वायरलेस पर सूचना चली कि कोई हादसा हो गया। जिसके बाद तुरंत मौके पर पहुंचे तो वहां पर यूपी 100 की गाड़ी और गश्त ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी पहुंच चुके थे। जो लोग बस से बाहर कूदकर निकल चुके थे उन्हें तो हॉस्पिटल पहुंचा दिया गया लेकिन, जो अंदर थे उन्हें चाह कर भी बाहर नहीं निकाल सके और सब की मौत हो गई।

करनपाल यादव, एसएचओ बिथरी चैनपुर

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गेट खुला तो नीचे गिरने लगी लाशें

जब बस की आग बुझ गई तो पुलिस और फायर ब्रिगेड ने बस का मेन गेट खोला। मेन गेट खोलते ही जली हुई लाशें नीचे गिरने लगी। गेट से 5 लाशें गिरी। इससे साफ था कि सभी बचने के लिए गेट की ओर भागे थे, लेकिन गेट लॉक होने से सब फंस गए और जिंदा जल गए। यही नहीं बसों की खिड़कियों पर भी लाशें लटक रही थीं, ये वो लोग होंगे जो खिड़की से कूदकर जान बचाने के लिए निकलना चाहे होंगे लेकिन खिड़की में ही फंस गए। बस के अंदर सीट के ऊपर, सीट के नीचे, फर्श पर और गैलरी समेत सभी जगह लाशें बिखरी हुई थीं। समझ में ही नहीं आ रहा था कि लाश महिला, पुरुष या बच्चे की है। बस के अंदर और नीचे यात्रियों का सामान बिखरा हुआ था। पुलिसकर्मियों ने संवेदना दिखाते हुए पर्दा लगाया और कपड़ों में रखकर शव डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की मोर्चरी में पहुंचाया।

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डीएनए से पहचान करने के बाद ही मिलेगा मुआवजा

प्रशासन ने डीएनए सैंपल व घायलों के इलाज के लिए तीन टीमों का किया गठन

बस हादसे में मरने वाले सभी यात्रियों के शव पूरी तरह से जल चुके हैं, ऐसे में किसी भी शव की पहचान आसान नहीं है। यहां तक मुश्किल हो रहा है कि शव महिला या पुरुष का है। मृतकों के परिजन शवों की पहचान करने का दावा करेंगे और कई सारे लोग मुआवजे के लिए भी। ऐसे में सभी मृतकों के अवशेषों का डीएनए सैंपल लिया गया। जो भी शख्स मृतक पर दावा करेगा उसका डीएनए सैंपल लिया जाएगा और डीएनए सैंपल मिलान के बाद लीगल प्रोसेस ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने डीएनए सैंपल करने के लिए अलग से टीम गठित की है। इसके अलावा दो अन्य टीमों का भी गठन किया गया है। एडीशनल डायरेक्टर हेल्थ प्रमिला शर्मा को घायलों को सभी हॉस्पिटल में इलाज दिलाने और घायलों के परिजनों ठहरने और उनके भोजन के इंतजाम की जिम्मेदारी दी गई है।

टीम 1-

एसीएम वन अरुणमणि त्रिपाठी, सीओ नवाबगंज रमनपाल सिंह, चिकित्साधिकारी डॉक्टर अशोक कुमार, डॉक्टर एसएस चौहान, एआरएम गोंडा वीरेंद्र कुमार वर्मा- डीएनए सैंपल लेकर टेस्ट कराने, मृतक यात्रियों के नमूने रखने का काम करेगी। इसमें एडीशनल डायरेक्टर हेल्थ डॉक्टर प्रमिला गौड़ पूरे वर्क को देखेंगी और टीम के माध्यम से कोशिश करेंगी कि सभी मृतकों की पहचान हो सके।

टीम 2-

एसीएम सेकंड कालीशंकर वर्मा, सीओ थर्ड जगमोहन बुटोला, चिकित्साधिकारी डॉक्टर एके गौतम व बागीश वैश्य, और एआरएम परिवहन निगम बरेली जयदेव नोमानी-टीम घायलों को हर संभव इलाज देने की कोशिश करेगी और उनके आने वाले परिजनों को पूरी जानकारी देगी। इसके लिए प्रभारी अधिकारी वीआईपी लगाए गए हैं। यह टीम 3 से भी समन्वय स्थापित करेगी।

टीम 3-

सिटी मजिस्ट्रेट उदय प्रताप सिंह, आरएम परिवहन निगम प्रभाकर मिश्रा, सीओ फ‌र्स्ट कुलदीप कुमार और तहसीलदार नवाबगंज बृजपाल सिंह -यह टीम घायलों के परिजनों के आने पर उन्हें सूचना देगी, उनके ठहरने का इंतजाम करेगी, उन्हें हॉस्पिटल तक लेकर जाएगी ताकि कोई असुविधा न हो। यह टीम चिकित्सालयों में टीम की जानकारी के फ्लैक्स भी लगाएगी।