- पथरी के इलाज के लिए आशा नर्सिग होम में भर्ती हुई थी महिला

- ऑपरेशन के बाद महिला को किया हायर सैंटर रेफर, डॉक्टरों ने किया मृत घोषित

- परिजनों ने पहले हायर सेंटर फिर आशा नर्सिग होम में किया जमकर हंगामा

>DEHRADUN: नेहरू कॉलोनी थाना इलाके में जोगीवाला चौक के पास एक नर्सिग होम में मरीज की मौत पर परिजनों ने जमकर हंगामा काटा। दरअसल मरीज को मंगलवार सुबह पथरी के ऑपरेशन के लिए नर्सिगहोम में भर्ती कराया गया था, लेकिन डॉक्टरों द्वारा शाम भ् बजे ऑपरेशन शुरू किया गया। परिजनों ने आरोप लगाया कि डॉक्टर्स की लापरवाही के कारण मरीज की मौत हुई है। हंगामे की सूचना पर नेहरू कॉलोनी पुलिस मौके पर पहुंची, पुलिस ने किसी तरह समझा-बुझा कर मृतक के परिजनों को शांत कराया।

मंगलवार को हुइर् थी भर्ती

जानकारी के अनुसार बिमला देवी पत्‍‌नी नारायण सिंह उम्र ब्भ् निवासी हरिपुर, नवादा को पथरी की शिकायत थी। मंगलवार सुबह पथरी का दर्द ज्यादा होने की वजह से महिला के परिजनों द्वारा सुबह करीब 8.फ्0 बजे उसे जोगीवाला स्थित आशा नर्सिग होम में भर्ती कराया गया। परिजनों का आरोप है कि सुबह से भर्ती मरीज को डॉक्टरों ने शाम भ् बजे तक बिठाए रखा। करीब भ् बजे से ऑपरेशन शुरू हुआ जो रात 8.फ्0 बजे तक चला। इसके बाद डॉक्टरों ने मरीज को हॉयर सेंटर के लिए रैफर कर दिया। आनन-फानन में मरीज के परिजन उसे जब ईसी रोड स्थित एसके मैमोरियल हॉस्पिटल ले गए तो वहां डॉक्टरों ने मरीज को मृत घोषित कर दिया। मरीज की मौत की खबर सुनकर परिजनों ने मंगलवार रात एसके मैमोरियल हॉस्पिटल में जमकर हंगामा काटा।

पुलिस ने किया परिजनों को शांत

इधर पूरे मामले में बुधवार सुबह मरीज के दर्जनों परिजन जोगीवाला स्थित आशा नर्सिग होम में पंहुच गए। परिजनों ने सुबह से ही नर्सिगहोम के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। मरीज के परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने पहले तो लापरवाही से मरीज का ऑपरेशन किया। बाद में मरीज की मौत की पुष्टि न करते हुए परिजनों को गुमराह करते रहे। नर्सिग होम में हंगामे की सूचना मिलते ही एसओ नेहरू कॉलोनी विनोद गुसाईं मौके पर पंहुच गए। एसओ के आश्वासन के बाद परिजनों ने मरीज के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। एसओ विनोद गुसाईं ने बताया कि मामले में अगर परिजनों की तरफ से कोई तहरीर आती है तो कार्रवाई की जाएगी।

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चिंताजनक हैं आंकड़े

एसआरएस के सर्वे के अनुसार उत्तराखंड में वर्ष ख्0क्ब् में क्0.9 फीसदी लोगों की मौत इसलिए हुई क्योंकि उनका इलाज अनट्रेंड स्टाफ के हवाले छोड़ दिया गया था, जबकि फ्9 फीसदी लोगों को मौत से पहले क्वालिफाइड प्रोफेशनल्स ने ट्रीटमेंट दिया था।

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एसआरएम के सर्वे के अनुसार उत्तराख्ाड में स्थिति

- ख्9.ख् प्रतिशत मौतें सरकारी अस्पतालों में

- ख्0.9 प्रतिशत मौतें प्राइवेट अस्पतालों में

- क्0.9 प्रतिशत मौतें अनट्रेंड स्टाफ के हाथों

- म्0 प्रतिशत डॉक्टरों की कमी है राज्य में