- पत्नी के ऑपरेशन के लिए पति दो माह से लगा रहा मेडिकल कॉलेज का चक्कर

-मुख्यमंत्री के पत्र का भी नहीं लिया संज्ञान, प्रिंसिपल के आदेश की भी अनसुनी

GORAKHPUR: एक तरफ मुख्यमंत्री प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री के ही शहर में एक मरीज पिछले दो महीने से डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस के पाटे में पिट रही है। वह भी पूर्वाचल के एकमात्र मेडिकल कॉलेज बीआरडी में। एक-दो नहीं, बल्कि कई बार महिला का पति इलाज के लिए बीआरडी गया, लेकिन वहां हर बार मिले इंकार से वह लाचार है। आलम यह है कि मुख्यमंत्री के लेटरहेड पर लिखे खत और खुद बीआरडी के प्रिंसिपल के आदेश की भी धज्जियां उड़ा दी गई हैं।

पहला डॉक्टर, पहली विजिट

यह वाकया है बिहार के पश्चिमी चंपारण के बगहा के रहने वाले रंजन श्रीवास्तव की पत्नी सीमा श्रीवास्तव का है। उनके सीने में घाव है। 17 फरवरी 2017 को उनके पति उन्हें लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचे। वहां सर्जरी विभाग की ओपीडी में डॉ। अभिषेक जीना ने उन्हें देखा। उन्होंने बीमारी गंभीर बताते हुए कहा कि सीने की नस सड़ गई है। इसके चलते घाव हो गया है। उन्होंने ऑपरेशन की सलाह दी और पर्ची पर दवा लिखने के बाद 31 मार्च को आने की बात कही।

दूसरी विजिट

डॉ। जीना की सलाह पर सीमा के साथ घर लौट गया। आरोप है कि तय डेट पर वह दोबारा ओपीडी में पहुंचा। तो यहां अल्ट्रासाउंड जांच के साथ दवा लिखी दी गई। बाहर से जांच कराने के बाद 32 सौ रुपए की दवा खरीदा।

तीसरी विजिट

जब तीसरी बार पहुंचा तो डॉ। जीना ने समय न होने की बात कहकर ऑपरेशन टाल दिया। वहीं ओपीडी के पास एक व्यक्ति मिला जिसने डॉ। अभिषेक जीना के घर का पता दिया।

और डॉक्टर बोले मेडिकल कॉलेज में मशीन सही नहीं है

जब उनके घर पहुंचा तो वहां बेसमेंट में मरीजों को देख रहे थे। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज उपकरण सही नहीं है। प्राइवेट में उपकरण ठीक है। ऑपरेशन में 30 से 35 हजार रुपए खर्च होंगे। साथ में दवा का पैसा लगेगा। जब मैंने असमर्थता जताई तो पांच हजार रुपए छूट देने की बात कही।

दूसरा डॉक्टर, मिील डेट पर ऑपरेशन नहीं

इसके बाद रंजन पत्नी का ऑपरेशन कराने के लिए सर्जन डॉ। यूसी सिंह के पास पहुंचा। उन्होंने सर्जरी वार्ड नंबर, चार बेड संख्या 17 पर भर्ती करवाया। जांच के बाद ऑपरेशन पूरी तैयारी की गई। ऑपरेशन के लिए एक लिस्ट दी गई। रंजन ने बाहर के मेडिकल स्टोर से करीब दस हजार रुपए का सर्जरी सामान भी खरीदा। सुबह ओटी में पत्नी सीमा को ले गए। इस बीच कई मरीजों का ऑपरेशन किया गया लेकिन मेरी पत्नी का ऑपरेशन नहीं हुआ। कहा गया कि अब एक हफ्ते बाद ऑपरेशन हो पाएगा। जब डॉक्टर से इस संबंध में पूछा कि ऑपरेशन क्यों टाला गया तो उनका जवाब था कि अब एक हफ्ते बाद ही हो सकेगा।

बोला, पैसे नहीं हैं? यहीं सड़ जाओगे

इसी बीच एक जूनियर डॉक्टर मिला। उसे 15 हजार में ऑपरेशन करने को कहा। इतना ही नहीं उसने कहा कि यदि पैसा नहीं हैं तो यहीं पर सड़ जाओगे। ऑपरेशन नहीं हो पाएगा।

बॉक्स

मंदिर में की फरियाद

रंजन ने बताया कि परेशानी की हालत में पत्नी के साथ गोरखनाथ मंदिर पहुंचा। वहां मौजूद लोगों ने सीएम के पैड पर प्रिंसिपल के नाम पत्र भेजा गया। प्रिंसिपल को जैसे ही लेटर मिला उन्होंने तत्काल सर्जन डॉ। यूसी सिंह को बुलवाया और बात की। फिर उन्होंने सर्जन डॉ। योगेश पाल को ऑपरेशन करने का आदेश दिया।

तीसरा डॉक्टर बोला, प्रिंसिपल के कहने से ऑपरेशन हो जाएगा?

यहां तो रंजन के साथ और भी भारी खेल हो गया। रंजन का कहना है कि जब सर्जन योगेश पाल के पास पहुंचा तो उनका जवाब था कि प्रिंसिपल के कहने पर ऑपरेशन हो जाएगा क्या? वह इस जवाब से मायूस हो गया और लौट आया।

अब चौथे डॉक्टर के हवाले मामला

ऑपरेशन के लिए डॉक्टर्स का चक्कर लगाने के बाद थम चुका रंजन श्रीवास्तव शनिवार की दोपहर प्रिंसिपल राजीव मिश्रा के आफिस में पहुंचा। वह काफी परेशान रहा। उधर पत्नी की स्थिति ठीक नहीं थी और वह सीने के दर्द से कराह रही थी। जब उसने प्रिंसिपल को इस बात से अवगत कराया तो उन्होंने तत्काल सर्जन डॉ। संदेश श्रीवास्तव को ऑपरेशन करने के लिए कहा। फिलहाल डॉ। संदेश सीमा का इलाज कर रहे हैं।