- एएसडी नाम की हार्ट डिजीज के पेशेंट को कमीशन के चक्कर में दिल्ली भेजा, निदेशक ने बैठाई जांच

- मोटी कमाई के लिए कार्डियोलॉजी में चल रहा रेफरल का खेल, दिल्ली और लखनऊ के हॉस्पिटलों से मिलता है कमीशन

- कर्मचारी पर आरोप, सही जांच हुई तो कई बड़े भी फंसेंगे

KANPUR: सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की तर्ज पर काम करने वाले शहर के प्रतिष्ठित एलपीएस इंस्टीटयूट ऑफ कार्डियोलॉजी में इलाज कराने वाले मरीजों को दिल्ली के बड़े हॉस्पिटल्स में भेजने वाला गैंग सक्रिय है। जिसमें कई कर्मचारियों से लेकर डॉक्टर्स भी शामिल हैं। गुरूवार को कार्डियोलॉजी ओपीडी में इसकी एक बानगी देखने को मिली। जब कार्डियोलॉजी इलाज कराने आए एक युवक को दिल्ली के बड़े हार्ट इंस्टीट्यूट भेज दिया गया, लेकिन उन्होंने वहां पर खर्चा सुना तो वापस आ गया। गुरूवार को उसने डॉक्टर से इसके बारे में बताया तो मामला खुला। इसके बाद आनन फानन में आरोपी टेक्नीशियन के खिलाफ कमेटी गठित करके जांच बैठा दी गई। वहीं सूत्रों की माने तो यह खेल कुछ कर्मचारियों तक सीमित नहीं है। बल्कि कई डॉक्टर्स भी इसमें शामिल हैं। जिसके एवज में उन्हें मोटा कमीशन भी ि1मलता है।

पेशेंट वापस आया तो ख्ाुला मामला

गुरूवार को कार्डियोलॉजी में प्रो। राकेश वर्मा की ओपीडी थी। उन्होंने बताया कि वह कई दिन से बिल्हौर के नरेंद्र सिंह कटियार का इलाज कर रहे थे। उसे एएसडी नाम की बीमारी थी। उसके पास बीपीएल कार्ड भी था। गुरूवार को वह ओपीडी आया और उन्हें बताया कि यहां के एक कर्मचारी ने ही उसे दिल्ली के एक प्रसिद्ध हार्ट इंस्टीट्यूट भेजा था, लेकिन वहां इलाज में लाखों का खर्चा सुन वह वापस आ गया। इसके बाद डॉ। राकेश ने सौरभ नाम के उस कर्मचारी को बुला कर डांटा। वहीं कर्मचारी ने भी प्रोफेसर पर भरी ओपीडी में उसे पीटने का आरोप लगाया है।

रेफरल कमीशन में करोड़ों की इकोनामी

दरअसल एक मरीज को किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में भेजने पर कई जगह मोटा कमीशन मिलता है। खास बात यह है कि इस खेल में सबसे ज्यादा तो डॉक्टर ही शामिल होते हैं, लेकिन निचले स्तर पर सरकारी अस्पतालों के कर्मचारी और कई बार एंबुलेंस वाले भी रेफरल का काम करते हैं। इसमें हर पेशेंट पर मोटा कमीशन एजेंट को दिया जाता है। इसी खेल की एक कड़ी गुरूवार को कार्डियोलॉजी में खुली। जहां एक संविदा कर्मचारी फंस गया।

रेजीडेंट्स से लेकर कई सीनियर्स भी शामिल

कार्डियोलॉजी के ही एक सीनियर डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यहां पर कर्मचारियों के अलावा कई सीनियर लोग भी मरीजों को दिल्ली के बड़े हॉस्पिटल्स में भेजने का काम कर रहे हैं। जिन मरीजों का सस्ती दरों में कार्डियोलॉजी में इलाज संभव है, उन्हें भी कमीशन के लालच में दिल्ली, एनसीआर के बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल्स में भेज दिया जाता है। इसमें सीनियर रेजीडेंट्स से लेकर कई बड़े डॉक्टर्स भी श्ाुमार हैं।

सिर्फ कर्मचारी पर जांच क्यों

गुरूवार को मामले का खुलासा भरी ओपीडी में होने के बाद आनन फानन में कार्डियोलॉजी प्रबंधन ने तीन डॉक्टरों की जांच कमेटी गठित की गई। इसमें डॉ। जोगेन्दर सिंह, डॉ। विनय बाजपेई और डॉ। माधुरी प्रियदर्शी शामिल हैं। कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ। विनय कृष्णा ने इसकी रिपोर्ट 12 दिसंबर तक देने के लिए कहा है। वहीं सवाल उठता है कि क्या यह जांच सिर्फ कर्मचारियों तक ही सीमित रहेगी या कोई बड़े नाम का भी खुलासा होगा।