-लोगों की जान से हो रहा खिलवाड़, पिछले साल छापेमारी में 15 करोड़ की नकली दवा की गई थीं जब्त

क्कन्ञ्जहृन्: पटना में करोड़ों के नकली दवाओं का कोराबर चल रहा है। पिछले साल ही पटना में 15 करोड़ के नकली दवाओं का भंड़ाफोड़ हुआ था। नकली दवा बनाने वाली कंपनी धड़ल्ले से दवा बना रही है और लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही है। इसका खुलासा शुक्रवार को मछुआ टोली स्थित नकली दवा बनाने वाले एक बड़े रैकेट के भंडाफोड़ से हुआ है। पिछले साल पटना में दर्जनों नकली दवा बनाने वाली कंपनियों का भंडाफोड़ हुआ था। इसकी जांच में पता चला था कि यहां बनाई जा रही नकली दवाओं की स्पालई बिहार सहित कई राज्यों में भी की जाती है। इन ठिकानों पर नकली दवा बनाने और एक्सपायरर्ड दवाइयों की री-पैकिंग करने का भी भंडाफोड़ हुआ था।

नकली की पहचान मुश्किल

जानकार बताते हैं कि असली और नकली दवाओं में फर्क करने का कोई सपष्ट तरीका नहीं है। दवा के असली और नकली होने की पहचान लेबेरोटरी में ही की जा सकती है। नकली दवा बनाने वाली कंपनियां दवा की सैमपलिंग इस तरह से करती है जिससे कोई आम आदमी आसानी से इसे पकड़ ही नहीं सकता है। इससे बचाव के लिए दवा खरीदते समय दुकानदार से रसीद जरूर लेना चाहिए। ड्रग इंस्पेक्टर सच्चिदानंद विक्रांत के मुताबिक रसीद लेने से दुकानदार नकली दवा बेचने से डरता है। इसलिए दवा खरीदते समय ग्राहक को दुकानदार से रसीद की मांग जरूर करनी चाहिए।

बना रहे थे जानलेवा कैप्सूल

दवा बनाने वाले फैक्ट्री में ऐसे तो हर किस्म की दवाएं बनाई जा रही है। लेकिन खास तौर से जानलेवा इजेंक्शन और कैप्सूल तैयार किया जा रहा है। ऐसी दवाएं बनाई जा रही हैं जिसके इस्तेमाल से लोगों की जान तक चली जाती है। फैक्ट्री में ऑक्सीटोसीन और डाइक्लोफिनिक जैसे जानलेवा इंजेक्शन तैयार किए जा रहे हैं। जो पूरी तरह से भारत में बैन है। जिसमें ऑक्सीटोसीन का इस्तेमाल लोग मवेशियों से ज्यादा दूध निकालने के लिए करते हैं। साथ ही इसका उपयोग फलों और सब्जियों के वजन ज्यादा बढ़ाने के लिए लोग कर रहे हैं। इंजेक्शन की मदद से तैयार किया जाने वाला उत्पाद के इस्तेमाल से लोगों की जान तक चली जाती है।

दूसरे राज्यों में भी खपा रहे दवा

पकड़े गए दवा कंपनियों के संचालकों से हुई पूछताछ में खुलासा हुआ है कि दवा कारोबारियों से साठ-गांठ रखते हैं। फैक्ट्री में एक्सपायर्ड दवाओं की री-पैकिंग कर मेडिकल स्टोरों पर सस्ते दामों में बेची जाती है। इंजेक्शन से लेकर सीरप तक फैक्ट्री में तैयार किया जाता है।

पिछले साल पटना में सूचना के आधार पर करोड़ों रुपए की नकली दवा की बरामदगी की गई थी। पिछले दिनों इसका कारोबार बहुत बड़े पैमाने पर बढ़ गया। इसे रोकने के लिए हमरी टीम लगातार छापेमारी कर रही है। इल धंधे से जुड़े लोगों को किसी कीमत पर बख्सा नहीं जाएगा।

डॉ। सच्चिदानंद विक्रांत, औषधि नियंत्रक, पटना