- बिहार का एकमात्र ए ग्रेड क्रिकेट स्टेडियम के नए शिरे से बनने से क्रिकेट का होगा नुकसान

- बिहार में क्रिकेट को पूर्ण मान्यता मिलने के बाद क्रिकेट गतिविधि कराना हो गया है अनिवार्य

PATNA (25 March): मोइनुल हक स्टेडियम को तोड़कर इसे विस्तारित एवं आधुनिक बनाया जाएगा। इस सुखद घोषणा के बावजूद एक बहस चल पड़ी है। इससे खिलाडि़यों, खेल प्रशासकों और सरकार की अलग -अलग सोच सामने आ रही है। सबसे बड़ा मसला यह है कि बिहार क्रिकेट को अभी - अभी मान्यता मिली है और इसलिए यहां अधिक से अधिक टूर्नामेंट और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं करना अनिवार्य हो गया है। इस बीच अचानक से मोइनुल हक स्टेडियम को ध्वस्त कर इसे विशाल स्टेडियम बनाने के क्रम में एक मानक स्टेडियम न मिलने की असुविधा का सामना करना पड़ेगा। इस बहस में सभी की अलग- अलग सोच सामने आयी है जिसमें खिलाडि़यों की चिंता का प्रगटीकरण हुआ है।

क्यों है घोषणा के बाद चिंता

बिहार में क्रिकेट का बीते क्म् साल से वनवास चल रहा था और अब मान्यता मिली है। ऐसे में प्रदेश स्तरीय एवं राष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट कराने के लिए बिहार भर में मात्र एक ही स्टैंडर्ड स्टेडियम है- मोइनुल हक। हालांकि बोर्ड कॉलोनी में भी एक नया स्टेडियम तैयार किया गया है। लेकिन इसकी क्षमता कम है और इसकी लोकप्रियता न होने की वजह से यहां दर्शकों को आकर्षित करना भी चुनौती है।

अभी तो रिनोवेट ही करें

इस पूरी बहस में बिहार में क्रिकेट की वापसी के लिए लड़ाई लड़ने वाले बिहार प्लेयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि यह बात लाजमी है कि क्रिकेट का खेल बाधित न हो। अभी बिहार में विभिन्न स्तरीय क्रिकेट का टूर्नामेंट अधिक से अधिक कराया जाना है। ऐसी स्थिति में

मोइनुल हक स्टेडियम को फिलहाल चरणबद्ध तरीके से रीनोवेट किया जाए। यही उचित होगा।

पहले नालंदा का स्टेडियम तैयार करें

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सेक्रेटरी रवि शंकर प्रसाद सिंह का कहना है कि सरकार द्वारा नालंदा में क्रिकेट का एक अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम तैयार किया जा रहा है। इसे पूरा होने दे इसके बाद ही मोइनुल हक स्टेडियम को तोड़कर नया बनाने पर काम किया जाए। सरकार से यह अपील होगी। चूंकि अभी मोइनुल हक स्टेडियम ही एकमात्र स्टेडियम है इसलिए।

बोर्ड के पैसे से बने स्टेडियम

जहां एक ओर सरकार मोइनुल हक स्टेडियम को नये सिरे से बनाने के लिए फ्00 करोड़ रूपये खर्च करेगी। वहीं, बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सेक्रेटरी रवि शंकर प्रसाद सिंह ने कहा कि जैसे झारखंड को पूर्ण मान्यता होने के नाते बोर्ड ने ख्7भ् करोड़ रूपये की राशि से एक अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम तैयार किया है इसी प्रकार बिहार में भी स्टेडियम तैयार हो। वन स्टेट, वन वोट के नारे के साथ बिहार में भी अब बीसीसीआई की राशि से इसका विकास किया जा सकता है।

खिलाडि़यों का मत

खिलाडि़यों का भी मत है कि क्रिकेट की गतिविधियां बाधित न हो। इसे जारी रखना भी बिहार के लिए जरूरी है। बिहार पोस्टल क्रिकेट सहित पहले दर्जे का क्रिकेट खेल चुके संदीप सिंह का मत है कि तत्काल मोइनुल हक स्टेडियम में खेल होते रहने देना चाहिए। वहीं, झारखंड से रणजी

नई घोषणा नहीं है, जागरूकता भी नहीं

इस ज्वलंत मामले को लेकर बिहार निवासी एवं पूर्व रणजी ट्रॉफी खिलाड़ी आशीष सिन्हा ने दो टूक कहा कि क्रिकेट को लेकर जागरूकता का अभाव है। जब यह राज्य सरकार अस्तित्व में आयी तब ही ख्00 करोड़ रूपये का फंड सिर्फ मोइनुल हक स्टेडियम को डेमोलिस करने के लिए तय किया गया था। बाद में कुछ नहीं हुआ। उधर, बोर्ड कॉलोनी में बना नया स्टेडियम पर भी बाबूओं का कब्जा है। आम क्रिकेटर यहां क्रिकेट खेलने से महरूम हैं। ऐसे में भगवान ही मालिक है।

कोट

मोइनुल हक स्टेडियम को चरणबद्ध तरीके से रीनोवेट किया जाना चाहिए। अभी क्रिकेट की स्पद्र्धाएं लगातार होती रहनी चाहिए।

- मृत्युंजय तिवारी, अध्यक्ष बिहार प्लेयर्स एसोसिएशन

स्टेडियम का निर्माण के लिए बीसीसीआई से मिले पैसे का यूज किया जा सकता है आने वाले समय में। फिलहाल मोइनुल हक स्टेडियम में क्रिकेट हो।

- रवि शंकर प्रसाद सिंह, सेक्रेटरी बिहार क्रिकेट एसोसिएशन

यह खुशी की बात है कि मोइनुल हक स्टेडियम को नए सिरे से और आधुनिक बनाया जाएगा। इससे क्रिकेट को एक नई दिशा मिलेगी।

- अरूण कुमार सिंह, असिस्टेंट सेक्रेटरी, पीडीसीए

सिर्फ घोषणाएं होती है। काम नहीं। यदि काम होता तो आज यह हाल नहीं होता। यहां खेल लगातार बाधित हो रहा है।

- आशीष सिन्हा, पूर्व रणजी खिलाड़ी