PATNA : नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक(सीएजी) ने बिहार में पुलिस बल के आधुनिकीकरण कार्यक्रम की विशेष रूप से पड़ताल की है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि क्9म्9-70 से पुलिस बल आधुनिकीकरण की योजना आरंभ है।

मगर यह काम नहीं होने के कारण राज्य को केंद्रीय पुलिस बल पर निर्भर रहना पड़ता है। समय-समय पर उत्पन्न होने वाली विभिन्न चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटने के लिए राज्य को पुलिस बल के आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान देना होगा।

रिपोर्ट में कहा गया कि ख्0क्क् से ख्0क्म् के दौरान राज्य में विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स, एसएसबी, सीआरपीएफ को ब्7 बार कुल फ्77 दिनों के लिए लगाया गया। पुलिस बल के आधुनिकीकरण की योजना की ख्00म् में समीक्षा की गई थी, लेकिन नवंबर, ख्0क्म् तक समीक्षा रिपोर्ट पर विचार ही चल रहा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार सरकार को हर वर्ष दिसंबर में वार्षिक कार्य योजना तैयार करनी थी जिसे मंजूरी के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाना था।

वार्षिक कार्ययोजना समय पर नहीं भेजे जाने के कारण अनुमोदन में बहुत देर हुई। ख्0क्क् से ख्0क्म् के दौरान ख्म्क्.ब्8 करोड़ की राशि प्राप्त हुई जिसमें से क्भ्ख्.99 करोड़ ही खर्च हो पाए। पुलिस बल आधुनिकीकरण के दिशा निर्देश के अनुसार बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम को विमुक्त निधि को अग्रिम माना जाना चाहिए था, मगर जांच में अग्रिम और व्यय के आंकड़ों में अंतर पाया गया। अभी स्थिति यह है कि भ्फ् फीसद पुलिस थानों के पास अपना भवन नहीं है। राज्य में ब्0 पुलिस व चार रेल पुलिस जिले हैं।