- सरकार ने अग्रिम राशि तो दी पर 44 सालों तक नहीं किया समायोजन

- वीर कुंवर सिंह तथा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का मामला

PATNA : मॉनिटरिंग के अभाव में और विश्वविद्यालयों में अधिनियम का सही ढंग से पालन नहीं करने पर राज्य के दो विश्वविद्यालयों ने सरकार को क्.88 करोड़ रुपए का चूना लगाया है। मामला वीर कुंवर सिंह विवि आरा और ललित नारायण मिथिला विवि दरभंगा का है। नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में अनियमितता उजागर की है।

रिपोर्ट बताती है कि वीर कुंवर सिंह विवि ने क्99ब् से ख्0क्ब् के बीच परीक्षा निधि से 79 व्यक्तियों को विभिन्न उद्देश्यों के लिए क्.भ्ख् करोड़ रुपये अग्रिम के रूप में दिए। महत्वपूर्ण यह था कि बगैर समायोजन के उन्हीं व्यक्तियों का बार-बार अग्रिम स्वीकृत किया गया। जांच के क्रम में यह पता चला कि क्फ् व्यक्तियों के पास म्0.8भ् लाख रुपए की रकम एक से पांच साल तक बगैर समायोजन के पड़ी रही। इसी तरह म्म् व्यक्तियों के पास 9क्.08 लाख रुपए पांच से बाइस साल तक बगैर समायोजन के पड़े रहे। वर्तमान में इनमें से चार लोग संसार से विदा हो चुके हैं। क्9 सेवानिवृत हो गए हैं तथा भ्ब् विवि के क्षेत्राधिकार से बाहर कार्यरत हैं।

ठीक इसी तरह ललित नारायण मिथिला विवि दरभंगा ने क्97ख् से ख्009 के बीच विभिन्न प्रकार की परीक्षा के लिए फ्म् व्यक्तियों को फ्म् लाख रुपए दिए। जिनमें से फ्ब् व्यक्तियों के पास यह रकम पन्द्रह से ब्ब् साल तक बगैर समायोजन के पड़ी रही। इनमें से फ्ब् व्यक्ति अब इस दुनिया में नहीं हैं जबकि दो सेवानिवृत्त हो चुके हैं। नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने माना है कि विश्वविद्यालय अधिनियम का सही प्रकार से पालन ना करने तथा मॉनिटरिंग नहीं होने से सरकार को वित्तीय क्षति का सामना करना पड़ा है।