- बिहार में कुपोषण एक आपातकाल की तरह है: ज्यां द्रेज

- एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट और यूनिसेफ की ओर से डेवलपमेंट डायलॉग में हुआ पोषण पर विमर्श

- बिहार में 48 प्रतिशत बच्चें हैं कुपोषण के शिकार

PATNA : बिहार में बच्चों की आबादी का लगभग आधा हिस्सा कुपोषित है। ऐसे में यह आपातकाल ही है जहां इतने अधिक बच्चे कुपोषित हैं। यह हमारे लिए मानव निर्मित आपातकाल जैसा है। बिहार में ब्0 प्रतिशत लड़कियों की शादी कम उम्र में ही कर दी जाती है। ये बातें समाजशास्त्री एवं सामाजिक कार्यकत्र्ता ज्यां द्रेंज ने एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट और यूनिसेफ की ओर से आयोजित वीमेन इम्पावरमेंट एवं चाइल्ड हेल्थ इन बिहार पर आयोजित डेवलपमेंट डायलॉग पर संबोधित करते हुए कहा।

बिहार का प्रदर्शन बेहद खराब

ज्यां द्रेज ने कहा कि ऐसे ख्0 से ज्यादा सामाजिक मानक हैं, जिसमें बिहार का प्रदर्शन काफी खराब रहा हैं। महिलाओं की सामाजिक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए उन्होनें कहा कि बिहार में ब्0 प्रतिशत से ज्यादा लड़कियों की शादी कम उम्र में हो जाती है। प्रजनन दर फ्.ब् प्रतिशत है, केवल क्ख् प्रतिशत महिलाएं अपना पैसा कमा पाती हैं, वही केवल ख्म् प्रतिशत महिलाओं का बैंक में खाता है.सरकार द्वारा बजट में कटौती को बच्चों के विकास के लिए नुकसान दायक बताते हुए उन्होनें कहा कि केंद्र सरकार ने मध्याहन योजना में लगभग फ्म् प्रतिशत की कटौती की हैं।

ये रहे शामिल

इस डेवलपमेंट डायलॉग में महिला विकास निगम की एमडी डॉ एन विजयलक्ष्मी, समाज कल्याण विभाग की सचिव वंदना किन्नी, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ सुनील रे संयुक्त रूप से कार्यक्रम का दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया। इस दौरान कुपोषण के कारण, प्रभाव और उसके विभिन्न आयामों की विशद चर्चा की गई। इस दौरान संस्थान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ नीतू चौधरी डॉ अभिजित घोष द्वारा यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से किए गए सर्वेक्षण रिर्पोट को भी साझा किया गया। यह परिचर्चा मुख्यत: चार तकनीकी सत्रों में विभाजित थी। कार्यक्रम की शुरूआत निदेशक डॉ सुनील रे विषय की रूपरेखा रखते हुए की।

स्थिति हुई बेहतर

महिला विकास निगम की प्रंबंध निदेशक डॉ एन विजयलक्ष्मी ने कहा कि क्0 साल के विकास दर के आंकडे़ दर्शाते हैं कि अधिकांश मानकों पर बिहार की स्थिति बेहतर हुई है। निगम के ग्राम वार्ता पहल के बारे में बताते हुए कहा कि इस के माध्यम से हम क्9 जिलों के 8भ् प्रखंडों में 8भ्000 समूहों के माध्यम से लगभग लाखों महिलाओं को ग्राम वार्ता से जोड़ा गया है।

एक तिहाई हमारे देश में है

यूनिसेफ, बिहार के प्रमुख असदुर रहमान ने कहा कि ख्0क्क् के जनगणना के आकड़ों के अनुसार, बिहार में 0 से क्8 साल के बच्चों की कुल संख्या भ् करोड़ 97 लाख है जो कुल आबादी का ब्म् प्रतिशत है.बिहार में पांच साल से कम उम्र के म्9 लाख बच्चे नाटेपन के शिकार हैं जो पूरी दूनिया के नाटेपन के शिकार बच्चों की संख्या के ब्.फ् प्रतिशत हैं। वही पूरी दूनिया के कुल नाटेपन के शिकार बच्चों की सख्या का एक तिहाई हमारे देश से है। कार्यक्रम का संयोजन डॉ नीतू चैधरी ने किया।