PATNA : पांच दशक तक कब्जा न लेने तथा जमीन मालिकों को मुआवजा न दिए जाने पर भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई को समाप्त करने का निर्देश दिया है। अदालत ने भूधारियों द्वारा जमीन की बिक्री को सही करार देते हुए खरीदारों के स्वामित्व को सही माना है।

न्यायाधीश हेमंत कुमार श्रीवास्तव की एकलपीठ ने शांति राय एवं अन्य द्वारा दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया। याचिकाकर्ता द्वारा अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा क्9म्क् में तत्कालीन ग्राम राजापुर एवं दुजरा (वर्तमान बुद्धा कालोनी) की म्ब्ब्9 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। सरकार द्वारा जमीन का न तो भौतिक कब्जा लिया गया और न ही भूधारियों को मुआवजे का भुगतान ही किया गया।

याचिकाकर्ता एवं अन्य ने क्99ब् के बाद जमीन मालिक से जमीन खरीदकर मकान एवं एक निजी विद्यालय के भवन का निर्माण कराया गया। उनलोगों ने जमीन पर अपना स्वामित्व स्थापित कर लिया। ख्0क्ब् में आये नये भूमिअधिग्रहण कानून की धारा ख्ब्(ख्) के तहत प्रावधान है कि वास्तविक कब्जा नहीं लेने एवं भूधारियों को मुआवजे का भुगतान न करने पर अधिग्रहण खत्म हो जायेगा।

इस संबंध में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी कई आदेश पारित किये गये हैं। इसको आधार बनाकर याचिकाकर्ता द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से विष्णुकांत दूबे, सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मो। खुर्शीद आलम एवं पटना नगर निगम की ओर से अधिवक्ता प्रसून सिन्हा ने अदालत में अपना-अपना पक्ष रखा।