- यूनिसेफ की ओर से मीडिया के साथ परिचर्चा आयोजित

- ब्रेस्टफीडिंग से पांच वर्ष से कम आयु वर्ग की शिशु मृत्य में 12 से 13 प्रतिशत की कमी

PATNA : स्तनपान या बे्रस्टफीडिंग के बारे में अमूमन यही समझा जाता है कि यह बच्चे के पोषण और स्वास्थ्य का मामला है। यह बात यूनीसेफ, बिहार द्वारा ब्रेस्टफीडिंग वीक पर पर आयोजित मीडिया के साथ परिचर्चा करते हुए संस्था के बिहार प्रमुख असदूर रहमान ने कही। मौके पर उन्होने कहा कि ब्रेस्टफीडिंग बच्चों का अधिकार है।

क्म् प्रतिशत तक खर्च बचा सकेंगे

बे्रस्टफीडिंग के विभिन्न पहलूओं पर प्रकाश डालते हुए पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के दौरान यूनिसेफ बिहार के पोषण पदाधिकारी डॉ शिवानी दर ने कहा कि माताओं को ब्रेस्ट कैंसर सहित अन्य बीमारियों से बचाव में भी इस प्रक्रिया का महत्व है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य पर काफी पैसा सरकार और व्यक्तिगत स्तर पर होता है। यदि इसे गंभीरता से लिया जाए तो कम से कम क्म् प्रतिशत तक स्वास्थ्य संबंधी खर्चो को बर्बाद होने से रोका जा सकता है। इससे पहले उन्होंने कहा कि स्तनपान का अन्य विकल्प तलाशना या बच्चों को इसका आदि बनाना गलत है।

छह माह तक केवल मां का दूध

स्तनपान का सबसे बड़ा नियम यह है कि नवजात को छह माह तक केवल मां का ही दूध देना चाहिए। इसके बाद ही पोषक आहार या अन्य तरल पदार्थ देना चाहिए। इस बारे में डॉ शिवानी ने कहा कि यदि भारत में एक्सक्लूसिव ब्रेस्ट फीडिंग को सुनिश्चित कर लिया जाए तो बाल मृत्यु दर में कमी लाने में मदद मिलेगी। लैनसेट इंटरनेशनल ख्0क्ब् के अनुसार विश्व में बच्चों की होने वाली ब्भ् प्रतिशत मौतों के लिए किसी न किसी प्रकार से कुपोषण जिम्मेदार है। जबकि मां का दूध संपूर्ण आहार है। यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ सुश्री निपुण गुप्ता ने इसके व्यापक प्रचार प्रसार में मीडिया की भूमिका को महत्वूपर्ण बताया।