- हर साल पड़ोसी देशों को 25 हजार टन मछली का निर्यात

- मछली उत्पादन के मामले में काफी पिछड़ा रहा बिहार

PATNA : दूसरे देशों के लोग भी बिहार की मछली के स्वाद का आनंद उठाने लगे हैं। नेपाल और बांग्लादेश के लोगों को बिहार मछली खिलाने लगा है। यहां के मीठे पानी की रेहू, कतला, मांगूर और बचबा की नेपाल और बांग्लादेश में जबरदस्त मांग है। दोनों देशों में बिहार हर साल ख्भ् हजार टन मछली का निर्यात कर रहा है।

जल संसाधन में समृद्ध होने के बाद भी मछली उत्पादन के मामले में बिहार काफी पिछड़ा रहा। एक दशक पहले तक स्थिति यह था कि मछली के लिए प्रदेश को आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल पर निर्भर रहना पड़ता था। स्थानीय बाजारों में आंध्रप्रदेश की मछली का एकाधिकार था। सरकार ने चार- पांच साल मत्स्य उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की। इसका बेहतर परिणाम जल्द ही सामने आने लगा और मछली का उत्पादन बढ़ने लगा। इस अवधि में मछली का उत्पादन बढ़कर ढाई गुणा से अधिक हो गया।

उत्पादन बढ़ने से स्थानीय बाजाराें से आंध्रा की मछली का एकाधिकार खत्म हो गया। इसके बाद भी बिहार अपनी मांग के हिसाब से उत्पादन नहीं कर पा रहा है और हर साल क्.फ्ख् लाख टन मछली आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से आयात करनी पड़ती है। बावजूद इसके मीठे जल की मछली की पड़ोसी देश विशेषकर बांग्लादेश एवं नेपाल में काफी मांग है। मत्स्य व्यावसायियों के हित को देख राज्य सरकार ने कम उत्पादन के बाद भी पड़ोसी देशों में मछली निर्यात करने का फैसला किया।

पिछले तीन- चार सालाें के दौरान मछली का उत्पादन बढ़ा है। स्वाद में बेहतर होने के चलते बिहार की मछली मांग काफी है। नेपाल और बांग्लादेश को मछली निर्यात की जा रही है।

डॉ एन विजयलक्ष्मी, सचिव, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग

मीठे जल में मछली उत्पादन देश में बिहार का स्थान - चौथा

मछली का उत्पादन : भ्.क्0 लाख टन

मछली की खपत : म्.ब्ख् लाख टन