- एनएसएसओ के आंकड़ों से बुजुर्गो के आत्मनिर्भरता की बात आयी सामने

- शहरी क्षेत्र में 46 प्रतिशत पुरूष बुजुर्ग अपनी आजीविका स्वंय चलाते है

shambhu.sinha@inext.co.in

PATNA : करोड़ो की संपत्ति के मालिक और रेमंड कंपनी के कारोबारी रहे आज अपने बेटे की बेरूखी के कारण बुढ़ापे में किराये के घर में गुजर बसर करने को मजबूर है। यह तो एक उदाहरण भर है। ऐसे कई मामले देश भर में यहां वहां दिख जाते हैं। यह देखा गया है कि आज बच्चे बुजुर्ग मां- बाप को एक लाइबिलिटी के तौर पर देखते हैं, जिक्र भ्ीा करते हैं। लेकिन यह सच नहीं है। शहरी क्षेत्र के ब्म् प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र के म्म् प्रतिशत पुरूष बुजुर्ग अपनी आजीविका की व्यवस्था अपने बूते करते हैं। वे अपने बच्चों पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं हैं। लेकिन भारत सरकार के एनएसएसओ के हालिया आंकड़े इस बात का प्रमाण है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र दोनों में बुजुर्ग पिता अपनी आजीविका का इंतजाम स्वंय कर रहे हैं। महिला बुजुर्ग भी अपने गुजर- बसर के लिए मेहनत करती है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इसके विभिन्न पहलूओं को जाना। पेश है रिपोर्ट।

आत्मनिर्भरता की स्थिति भी सम्मान से परे

एनएसएसओ के 'इनडरली इन इंडिया -प्रोफाइल एंड प्रोग्राम ख्0क्म् के रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में पुरूष बुजुर्ग म्म्.ब् प्रतिशत और ख्8.ब् प्रतिशत यानि करीब ब्7.क् प्रतिशत ऐसी आबादी कामकाजी है, आर्थिक उपार्जन करते हैं। इसी प्रकार शहरी क्षेत्र में ब्म्.क् प्रतिशत पुरूष बुजुर्ग और क्क्.फ् महिला बुजुर्ग कामकाजी हैं। इस प्रकार दोनों क्षेत्रों को मिलाकर ब्क्.म् प्रतिशत कामकाजी है। लेकिन इसके बाद भी ये बुजुर्ग सम्मान से परे हैं। प्रॉपर्टी य अन्य किन्हीं कारणों से उन्हें बच्चों से ही प्रताड़ना झेलनी पड़ती है।

बीमार में हो जाते हैं अकेले

यदि पापूलेशन सेंसस ख्0क्क् के आंकड़ों को देखे तो पता चलता है कि चलने- फिरने की समस्या और दृष्टि दोष की समस्या सबसे आम है। करीब भ्0 प्रतिशत की बुजुर्ग आबादी में यह समस्या है। हालांकि विशेष तौर पर शहरी क्षेत्र में हार्ट से संबंधित बीमारियों के मामले अधिक हैं। जबकि दु:खद तथ्य है कि इन बीमारियों की स्थिति मे या तो उनका सही इसे इलाज नहीं हो पाता है या उनके बच्चे ही उनके साथ नहीं रहते हैं।

बिहार में बुजुर्ग

बिहार में म्0 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या करीब एक करोड़ है। यहां 89 प्रतिशत बुजुर्ग शहरी जबकि क्क् प्रतिशत बुजुर्ग शहरी क्षेत्र में रहते हैं। ऐसी स्थिति में अधिसंख्य युवाओं के शहर में रहने के कारण बुजुर्ग अकेले रहने को विवश हैं। विशेष परिस्थितियों जैसे बीमारी आदि में उन्हें फैमिली सर्पोट नहीं मिल पाता है। राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही संस्था हेल्पएज इंडिया बिहार के स्टेट हेड गिरिश चंद मिश्र ने कहा कि बिहार में संस्था की ओर से सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर उन्हें आत्मनिर्भर होने के लिए सहयोग किया जा रहा है। हालांकि इसमें परिवार का सहयोग और उनके साथ उपस्थिति जरूरी है।

राष्ट्रीय स्तर पर दीन दयाल अंत्योदय योजना से आजीविका लाभ देश में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, झारखंड आदि कई राज्यों में लागू है, लाभ मिल रहा है। लेकिन बिहार में बुजुर्गो को इससे जोड़ने की आवश्यकता है।

- गिरिश चंद्र मिश्र, स्टेट हेड हेल्पएज इंडिया

कुल आबादी मिलियन में पुरूष महिला कुल

ग्रामीण ब्ख्7.8 ब्0म्.0 8फ्फ्.8

शहरी क्9भ्.भ् क्8क्.म् फ्77.क्

कुल म्ख्फ्.फ् भ्87.म् क्ख्क्0.9

आबादी म्0 वर्ष से अधिक

(मिलियन में)

पुरूष महिला कुल

ग्रामीण फ्म्.0 फ्7.फ् फ्7.फ्

शहरी क्भ्.क् क्भ्.भ् फ्0.म्

कुल भ्क्.क् भ्ख्.8 क्0फ्.9

स्रोत: सेंसस रिर्पोट, ख्0क्क्

बिहार बुगुर्जो की आबादी प्रतिशत में लोग महिला पूुरूष शहरी ग्रामीण

7.ब् 7707 फ्म्0क् ब्क्07 म्8म्8 8फ्9

भारत 8.म् क्0फ्8ब्9 भ्ख्777 भ्क्07ख् 7फ्ख्9ब् फ्0भ्भ्भ्

स्रोत - सेंसस रिर्पोट, ख्0क्क्

म्0 वर्ष से अधिक की आबादी के रहने की स्थिति प्रतिशत में बिहार

अकेला

फ्.9

पति या पत्‍‌नी के साथ क्क्.7

पति, पत्‍‌नी एव अन्य भ्0.भ्

बच्चों के साथ ख्9.फ्

अन्य रिश्तों के साथ क्.म्