- प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे हैं माउथ कैंसर के पेंशेंट

- चेन्नई अपोलो से आए एक्सपर्ट के शिविर में मिले कई पेंशेंट

- जागरुकता के अभाव में बढ़ रही बीमारी जो पेशेंट पर पड़ रही भारी

manish.mishra@inext.co.in

PATNA : आप बिहार में हैं और तम्बाकू के शौकीन हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि आप कैंसर जैसी घातक बीमारी के शिकार हो सकते हैं। कुछ ऐसे ही चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। चेन्नई अपोलो हॉस्पिटल के एक्सपर्ट डॉक्टरों की मानें तो अन्य प्रदेशों की अपेक्षा बिहार के लोगों में माउथ कैंसर की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। इसके लिए यहां की प्रचलित तेजाब युक्तखैनी और तम्बाकू को जिम्मेदार बताया जा रहा है। पटना के बोरिंग केनाल रोड स्थित साई फिजियो थेरेपी सेंटर में आयोजित नि:शुल्क जांच और जागरुकता शिविर में बाहर से आए एक्सपर्ट ने जो आंकड़े प्रस्तुत किए वह बिहार के लिए चौकाने वाला है।

ब्0 परसेंट माउथ कैंसर के पेशेंट

चेन्नई अपोलो कैंसर इंस्टीट्यूट के रेडियो ओंकोलॉजी डॉ पोथाराजू महादेव के मुताबिक देश के अन्य प्रदेशों की अपेक्षा बिहार के कैंसर पेशेंट में ब्0 परसेंट माउथ कैंसर से प्रभावित हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें हर साल वृद्धि हो रही है। उन्होंने बताया कि बिहार में खैनी और तम्बाकू का सेवन अधिक होता है और यही इस बीमारी का मुख्य कारण है। इसलिए बिहार में सबसे अधिक मुंह और गले के कैंसर रोगी मिलते हैं।

एक नजर में आंकड़ा

- ब्0 परसेंट पेशेंट माउथ और गले के कैंसर से प्रभावित

- करीब ख्00 कैंसर पेशेंट भोजपुर, वैशाली और बक्सर में हैं।

- 7भ्000 नए कैंसर के पेशेंट हर साल बिहार में मिल रहे हैं।

- क्8 जिलों के पानी में आर्सेनिक की मात्रा अधिक होने से भी कैंसर के पेशेंट बढ़े हैं।

- फ्0 से 70 वर्ष उम्र के बीच के हैं अधिक कैंसर पेशेंट।

- क्ब् लाख लोग देश में कैंसर से पीडि़त हैं।

- क् लाख की जनसंख्या पर 97 परसेंट कैंसर के केस बिहार में दर्ज हुए है।

भ्0 से अधिक पेंशेंट का परीक्षण

चेन्नई अपोलो कैंसर इंस्टीट्यूट से आए एक्सपर्ट की टीम ने साई फिजीयोथेरेपी और अस्पताल में भ्0 से अधिक कैंसर पेशेंट की जांच कर इलाज किया। पेशेंट्स को दवा के साथ-साथ परिवार के सदस्यों से लगाव रखने की सलाह दी गई। चेन्नई अपोलो कैंसर इंस्टीट्यूट के रेडियो ओंकोलॉजी डॉ पोथाराजू महादेव ने लोगों को जागरुक करते हुए कहा कि ये छुआछूत की बीमारी नहीं है। परिवार का प्यार रोगी को मिले तो उसका मनोबल बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि ऐसे पेशेंट के अंग प्रभावित होते हैं इसलिए उन्हें फिजियोथेरेपी करानी चाहिए। इससे तेजी से लाभ मिलता है। इस दौरान डॉ राजीव सिंह और शांतनु चटर्जी समेत अन्य एक्सपर्ट ने फीजियो की जानकारी दी।

अब कैंसर लाइलाज नहीं है। बस लोगों को जागरुक होने की जरूरत है। बिहार में जागरुकता की कमी है जिससे कैंसर पेशेंट की संख्या तेजी से बढ़ रही है। नई तकनीक 'प्रोटॉन बीम थेरेपी' आई है, जिससे कैंसर का इलाज और आसान हो गया है।

- डॉ पोथाराजू महादेव, रेडियो ओंकोलॉजी, चेन्नई अपोलो कैंसर इंस्टीट्यूट