- तीन विधेयक राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से थे संबंधित

- इसके अलावा पंचायत राज विभाग से जुड़ा था चौथा विधेयक

PATNA: विधानसभा में विपक्ष का हंगामा दूसरी पाली में भी जारी रहा। जोरदार हंगामे के बीच ही चार विधेयकों को मंजूरी प्रदान की गई। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने वित्त विभाग की ओर से अधिकाई व्यय का विवरण पेश किया। वहीं हंगामे के बीच कुल चार विधेयक पास किए गए जिसमें से तीन विधेयक जहां राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से संबंधित थे, वहीं चौथा विधेयक पंचायत राज विभाग से जुड़ा था।

ये विधेयक हुए पास

- बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त(संशोधन) विधेयक

- बिहार काश्तकारी(संशोधन)

- भूमि दाखिल खारिज(संशोधन) विधेयक

- बिहार पंचायत राज(संशोधन) विधेयक

इन विधेयक को मिली मंजूरी

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामनारायण मंडल ने 'बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त(संशोधन) विधेयक-ख्0क्7' पेश किया। इस संशोधन विधेयक के माध्यम से सर्वेयर शब्द को अमीन से प्रतिस्थापित किया गया है। साथ ही यह प्रावधान किया गया है कि भूमि के संबंध में सत्यापन के लिए कागजात अंचल कार्यालय के अलावा बंदोबस्त कार्यालय या शिविर कार्यालय में भी समर्पित किए जा सकेंगे। इसके बाद 'बिहार काश्तकारी(संशोधन)-ख्0क्7' पेश किया। इस विधेयक को भी मंजूरी प्रदान कर दी गई। वर्तमान में बिहार काश्तकारी अधिनियम-क्98भ् या राजस्व से संबंधित किसी अन्य अधिनियम में बेलगान या काबिल लगान रैयती जमीन के लगान निर्धारण से संबंधित प्रावधान अंकित नहीं है।

हर वर्ष होती है राजस्व की क्षति

हालांकि राज्य में हजारों एकड़ ऐसी जमीन सर्वे खतियान में दर्ज है। लगान निर्धारित नहीं होने के कारण सरकार को हर वर्ष राजस्व की क्षति होती है। इस संशोधन विधेयक के माध्यम से ऐसी जमीनों को भी काश्तकारी अधिनियम में शामिल किया गया है ताकि इनपर भी लगान लगाया जा सके। रामनारायण मंडल ने फिर 'बिहार भूमि दाखिल खारिज(संशोधन) विधेयक-ख्0क्7' भी पेश किया। इसके माध्यम से आनलाइन दाखिल-खारिज का प्रावधान किया गया है। साथ ही दाखिल खारिज के लिए समर्पित याचिका पर 90 दिनों के बाद भी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। यह देखा गया था कि 90 दिनों की निर्धारित समय सीमा के अंदर दाखिल खारिज याचिका पर कार्रवाई संभव नहीं हो पा रही थी। चौथा विधेयक पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत ने पेश किया। बिहार पंचायत राज(संशोधन) विधेयक-ख्0क्7 नामक इस विधेयक के जरिये यह प्रावधान किया गया है कि सरकार अब पंचायतों की विभिन्न कमेटियों के गठन के लिए दिशा-निर्देश दे सकती है।