- यूनिवर्सिटी में हिंदी विभाग की सीटें रह जाती हैं खाली

- पीयू में हिंदी पीजी में 80 में मात्र 37 सीटों पर ही छात्र

PATNA : आज हिंदी दिवस है। देश युवाओं की बहुलता से भरा है। क्या ये सभी हिंदी की औपचारिक शिक्षा के प्रति रूचि ले रहे हैं। कम से कम राजधानी पटना की स्थिति को देखकर तो ऐसा नहीं लगता है। प्रदेश के सबसे बड़े विश्वविद्यालय, जहां के हर विषय के छात्रों में प्रदेश भर के छात्रों का प्रतिनिधित्व होता है, उसमें नामांकन की स्थिति दयनीय है। पटना यूनिवर्सिटी में हिंदी पीजी की पढ़ाई दरभंगा हाउस में होती है। यहां कुल 80 सीटों में मात्र फ्7 सीटों पर नामांकन हुआ है। इससे पूर्व के वर्षो में भी कमो- बेस यही स्थिति रही है।

यूजी में स्थिति कुछ बेहतर

पटना यूनिवर्सिटी में यूजी स्तर पर स्थिति थोड़ी ठीक है। यूजी की म्0 सीटें हैं जिसमें करीब 70 प्रतिशत पर नामांकन हो गया है। हालांकि इसमें पड़ताल करने पर यह जानकारी भी सामने आई कि अधिकांश लड़के- लड़कियां ग्रामीण पृष्टभूमि से आते हैं और वे करियर ओरिएंटेशन की बजाय डिग्री लेने और पहले से इस कोर्स को ही करने की मनोदशा लेकर आते हैं। इस स्तर पर करियर को लेकर ज्यादा बहस नहीं है।

आखिर क्यों है यह स्थिति

पटना यूनिवर्सिटी हिंदी डिपार्टमेंट (पीजी) के विभागाध्यक्ष शरदेंदू कुमार ने कहा कि हिंदी में रोजगार के अवसर बढ़े हैं, संभावनाएं बढ़ी है। लेकिन जहां तक औपचारिक पढ़ाई की बात है, इसमें स्थिति निराशाजनक है। इसके कुछ कारण हैं। इनमें हिंदी को एक एक बेहतर विषय के रूप में प्रचार करने की कमी, विश्वविद्यालय का उपेक्षापूर्ण रवैया, रोजगार से इसे जोड़कर न देखना और इसके प्रति प्रेरणा का अभाव भी है। पेरेंट्स भी नहीं सर्पोट करते। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पहले तो हिंदी में सिर्फ शिक्षक बनने या साहित्यकार बनने का ही अवसर था लेकिन आज अनुवादक, मीडिया सहित कई अवसर है।

भाषा को प्रचारित प्रसारित करें

विषय चाहे कोई भी हो, उसे समसामयिकता यानि आज की जरूरतों के लिहाज से आगे बढ़ाने की जरूरत है। हिंदी बोलने, पढ़ने और सुनने वाले बढ़े हैं, यह संस्थागत और गैर संस्थागत हर स्तर पर हो रहा है। लेकिन औपचारिक शिक्षा के स्तर पर थोड़ी मोटिवेशन की जरूरत है। यह कहना है एएन कॉलेज में हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ कलानाथ मिश्र का। आज रोजगार की दृष्टि से हिंदी का फलक काफी विस्तृत हो गया है। यही वजह है कि यहां कॉलेज में नामांकन स्तर बेहतर है।

इस बार भर जाएंगी सीटें

एएन कॉलेज में हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ कलानाथ मिश्र ने बताया कि यहां यूजी की क्00 सीटें है। अधिकतम दो बैच में क्ख्0 सीटों तक एडमिशन लिया जा सकता है। फिलहाल 70 सीटों पर छात्रों का एडमिशन हो चुका है और इस माह तक सीटें भर जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि यहां हिंदी जैसे परंपरागत विषय में भी रोजगार के अवसर दिखाने और भाषा को वर्तमान परिप्रेक्ष्य के मुताबिक तैयार करने से रूझान बेहतर है।

वे हैं हिंदी विरोधी

पीयू में हिंदी विभाग पीजी के हेड शारदेंदू कुमार ने कहा कि सरकार और उंचे पदों पर बैठे लोग जो कि हिंदी को बढ़ाने की बड़ी बड़ी बातें करते हैं, वे ही इसके विरोधी हैं। आज के समय में बैंक और सरकारी विभागों में राजभाषा अधिकारी के पदों की संख्या में भारी कटौती की गई है। यदि हिंदी बढ़ी है तो इसलिए क्योंकि यह लोक भाषा है, बहुसंख्यकों की भाषा है।