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PATNA : जंग लगा लोहा धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है। इसे काटने में ज्यादा परेशानी नहीं होती है। इस बात से वैशाली जिले के कुख्यात अपराधी सोहन राय और जितेन्द्र पासवान अच्छी तरह से वाकिफ थे। इसके बाद ही दोनों ने मिलकर पीएमसीएच के कैदी वार्ड से फरार होने की प्लानिंग तैयार की। कैदी वार्ड के शौंचालय में ये दोनों जाते तो थे अपने साथ आए पुलिस वाले को बोलकर। लेकिन वैशाली पुलिस की टीम की नजर इन दोनों पर नहीं होती थी। जिसका दोनों ही अपराधी फायदा उठा रहे थे। कैदी वार्ड के उत्तरी कोने पर जनरल वार्ड का बाथरूम है। बाथरूम का मेन गेट ये अंदर से ये बंद कर देते थे। फिरकाफी देर तक नल को खुला छोड़ देते थे। लगातार नल से पानी गिरता रहता था। वार्ड के दूसरे लोगों व सिक्योरिटी में तैनात पुलिस वालों को लगता था कि अंदर ं कोई नहा रहा है.बस इसी बात का सोहन और जितेन्द्र ने फायदा उठाया। धीरे-धीरे कर खिड़की के लोहे को वो काटते गए। आखिरकार वो दिन आ ही गया जब वे पुलिस के नाक के नीचे से रफूचक्कर हो गए।

वार्ड में ही रह गई हथकड़ी

कैदी वार्ड के ग्राउंड फ्लोर के जनरल वार्ड में सोहन और जितेन्द्र रह रहे थे। लेकिन दोनों का बेड अलग-अलग हॉल में था। इनके बीच सिर्फ एक दीवार की अंतर थी। जनरल वार्ड में दूसरे जिले से आए और भी कई कैदी एडमिट हैं। इनकी सिक्योरिटी में तैनात पुलिस वालों की मानें तो सोहन और जितेन्द्र जब भी बाथरूम जाते थे तो उनके हाथों में हथकड़ी नहीं होती थी। भागने के समय में भी उनके हाथ में हथकड़ी नहीं थी। वार्ड में बेड के पास ही रस्सी से बंधी हथकड़ी पड़ी थी।

आधी रात को ही हुए थे फरार

जांच के दौरान जो बात सामने आई है। उससे ये पता चलता है कि सोहन राय और जितेन्द्र पासवान रात के अंधेरे में ही कैदी वार्ड से फरार हुए थे। सोर्स की मानें तो आधी रात को एक-एक कर दोनों बाथरूम गए थे। इसके बाद ही खिड़की तोड़कर फरार हो गए।

पीछे के रास्ते निकले बाहर

अनुमान के अनुसार बाथरूम की खिड़की से दोनों पहले बाहर निकले। इसके बाद पीछे के रास्ते की ओर भागे। पीछे का रास्ता राजेन्द्र सर्जिकल के पास वाले कैंपस में निकलता है। जहां पर डॉक्टर्स और स्टाफ की व्हैकिल पार्किंग होती है। यहां का रास्ता पीएमसीएच कैंपस के मेन रोड पर निकलता है।

आखिर किसने दी होगी रास्ते की जानकारी

दो कुख्यात अपराधियों के फरार होने का ये मामला उतना हल्का नहीं है, जितना इसे समझा जा रहा है। ये मामला बेहद ही गंभीर है। सोर्स की मानें तो पीएमसीएच के कैदी वार्ड से फरार होने का ये पहला मामला है। सोहन और जितेन्द्र को बिल्डिंग के पीछे के रास्ते के बारे में पता भी नहीं होगा। निश्चित तौर पर रास्ते की किसी ने रेकी की होगी। रेकी के बाद फरार होने के लिए रास्ते का रोड मैप तैयार किया गया होगा। सवाल ये है कि आखिर किसने दोनों अपराधियों को रास्ते की जानकारी दी? और घटना के समय पुलिस क्या कर रही थी।

पुलिस वालों ने बरती लापरवाही

एक एएसआई, तीन जिला पुलिस के सिपाही और एक होमगार्ड के सिपाही दोनों कुख्यातों की सिक्योरिटी में थे। एएसआई और जिला पुलिस के तीनों जवानों ने बड़ी लापरवाही बरती है। इन सभी ने दोनों पर नजर रखने का जिम्मा अकेले होमगार्ड के सिपाही पर छोड़ दिया था। जबकि चारों पुलिस वाले कैदी वार्ड से गायब थे। जबकि नियम के अनुसार कैदियों के इलाज, शौचालय जाना और उनके नहाने सहित सारे काम साथ आए पुलिस टीम को करना होता है। पटना पुलिस की जिम्मेदारी सिर्फ कैदी वार्ड की मेन गेट की सिक्योरिटी का था।

फरार हो सकते थे हथियार लेकर

जिला पुलिस के सिपाहियों के पास सरकारी रायफल भी थी। जो जनरल वार्ड में बेड के पास पड़ी हुई थी। इनके सरकारी रायफल लूटने से बच गए। वरना फरार होने के क्रम में दोनों अपराधी चाहते तो पुलिस वालों के हथियार लेकर फरार हो सकते थे।

क्यों थे एडमिट, पता नहीं

बीते करीब 6 महीने से सोहन राय कैदी वार्ड में एडमिट था। सोर्स की मानें तो 18 सितंबर 2016 को ही हाजीपुर जेल से उसे पीएमसीएच के कैदी वार्ड में लाकर एडमिट किया गया था। वहीं जितेन्द्र पासवान 2 फरवरी से एडमिट था। एक खास बात सामने आई है। दोनों एडमिट तो थे लेकिन किस बीमारी में थे, इन दोनों क्या इलाज चल रहा था। ये किसी को नहीं पता। सोर्स की मानें तो एक भी दिन न तो दोनों का इलाज करने डॉक्टर आते थे और न ही किसी ने दोनों को एक भी टाइम मेडिसिन खाते हुए देखा था। सवाल ये है कि फिर क्यों दोनों को जेल की जगह कैदी वार्ड में रखा गया? इसके लिए कौन दोषी है?

कैदियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिला पुलिस के जिम्मे होती है। कुख्यात अपराधी सोहन राय और जितेन्द्र पासवान की जिम्मेदारी भी वैशाली पुलिस की थी। वहीं वार्ड की खिड़कियों को ठीक करना पीएमसीएच प्रबंधन का काम है।

-मनु महाराज, एसएसपी

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