- देश का सातवीं सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी है पीयू

- सेंट्रल यूनिवर्सिटी की राह में पॉलिटिकल इच्छाशक्ति की कमी है सबसे बड़ा अड़चन

PATNA : पटना यूनिवर्सिटी क् अक्टूबर को अपना 97वां स्थापना दिवस मनायेगा। क् अक्टूबर क्9क्7 को पीयू की स्थापना की गयी थी। इसमें दस कॉलेज एवं चालीस के करीब डिपार्टमेंट हैं। इसने स्थापना काल से अबतक देश को हर क्षेत्र में अनगिनत रत्नों को दिया। शिक्षा, प्रशासन, कला, विज्ञान, राजनीति आदि क्षेत्र में सफल पेशेवरों को दिया। पीयू ने जिस दरियादिली से यहां के स्टूडेंट्स को ज्ञान बांटा। शायद उस दरियादिली से इसके विकास के लिए यहां के पूर्ववर्ती स्टूडेंट्स ने दिल खोलकर सहयोग अब तक नहीं किया। इसी कारण से नौ दशक बाद भी पीयू सेंट्रल यूनिवर्सिटी नहीं बन पाया है। इसके बाद खुले कई यूनिवर्सिटी सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा पा चुके हैं।

देश का सातवां सबसे पुराना यूनिवर्सिटी है पीयू

देश का सबसे पहले यूनिवर्सिटी के तौर पर क्8भ्7 में कलकत्ता यूनिवर्सिटी की स्थापना की गयी। इस वर्ष मद्रास यूनिवर्सिटी एवं मुम्बई यूनिवर्सिटी की स्थापना की गयी। इसके बाद क्887 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, क्8क्म् में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी एवं मैसूर यूनिवर्सिटी की स्थापना की गयी.क्9क्7 में देश के सातवें यूनिवर्सिटी के तौर पर पटना यूनिवर्सिटी की स्थापना की गयी। इसके बाद क्9क्8 में शांति निकेतन यूनिवर्सिटी क्9ख्0-अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एवं लखनउ यूनिविर्सिटी स्थापित किया गया। क्9ख्क् में दिल्ली यूनिवर्सिटी बना। इनमें दिल्ली यूनिवर्सिटी, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, विश्व भारती शांति निकेतन, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी सेंट्रल यूनिवर्सिटी बन चुका है।

घोषणा से आगे नहीं बढ़ी बात

जनवरी ख्00म् में बिहार के तत्कालीन चीफ मिनिस्टर नीतीश कुमार ने पीयू में एक कार्यक्रम के दौरान पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी में अपग्रेड कराने की बात कही थी। सेंट्रल यूनिवर्सिटी नहीं बन पाने की स्थिति में पटना यूनिवर्सिटी को विशेष सुविधा देकर स्टेट में मॉडल यूनिवर्सिटी के रूप में डेवलप कराने का बात कही थी। एनडीए के कार्यकाल में नीतीश कुमार काफी कद्दावर नेता थे।

सिंडीकेट भी लगा चुका है मुहर

ख्फ् जनवरी ख्0क्फ् को सिंडीकेट की बैठक में डॉ पीके पोद्दार के प्रस्ताव को पीयू रजिस्ट्रार डॉ कृतेश्वर प्रसाद ने सदन के सामने रखा था। प्रस्ताव को सदन ने पास किया था। प्रस्ताव में सदन के प्रस्ताव को सिंडीकेट मेंबर डॉ कार्यानंद पासवान, डॉ पुष्पांजली खरे, डॉ पीके पोद्दार, डॉ आशा सिंह ने समर्थन किया था।

आधे से अधिक पोस्ट हैं खाली

पटना यूनिवर्सिटी में टीचिंग स्टाफ का 888 पोस्ट एवं नन टीचिंग स्टाफ का क्ब्फ्म् पोस्ट हैं। इनमें से आधे से अधिक पोस्ट खाली है। समय के साथ पीयू में कई नये डिपार्टमेंट खुले लेकिन टीचिंग एवं स्टाफ नन टीचिंग की संख्या अपडेट नहीं हो पाए।

स्कॉलर्स को मिलता है डुप्लीकेट मेडल

पटना यूनिवर्सिटी में लंबे समय से अपने स्कॉलर्स को मोटीवेट करने के गोल्ड मैडल देता था। हर इयर पास आउट बैच को डिग्री देने के लिए कॉन्वोकेशन आयोजित किया जाता था। इस दौरान पास आउट स्टूडेंट्स को डिग्री एवं बेस्ट परफॉर्मेस करने वाले स्टूडेंट को अवार्ड के तौर पर गोल्ड मेडल दिया जाता था। कॉन्वोकेशन को अरेंज करने के लिए पहले स्टेट गवर्नमेंट की ओर से ग्रांट मिलता था। सरकार की ओर से ग्रांट बंद होने के बाद यूनिवर्सिटी ने ऑरिजनल गोल्ड मेडल के स्थान पर गोल्ड प्लेटेड मेडल देना स्टार्ट कर दिया।

नीतीश कुमार ने दिया था भरोसा

जनवरी ख्00म् में बिहार के तत्कालीन चीफ मिनिस्टर नीतीश कुमार ने पीयू में एक कार्यक्रम के दौरान पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी में अपग्रेड कराने की बात कही थी। सेंट्रल यूनिवर्सिटी नहीं बन पाने की स्थिति में पटना यूनिवर्सिटी को विशेष सुविधा देकर स्टेट में मॉडल यूनिवर्सिटी के रूप में डेवलप कराने का बात कही थी। एनडीए के कार्यकाल में नीतीश कुमार काफी कद्दावर नेता थे।

पीयू ने दिये कई राजनेता

बिहार की राजनीति में आज शिखर पर कई नेता हैं जो पटना यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट थे। इनमें कई बिहार के सीएम एवं सेंट्रल में मिनिस्टर भी रह चुके हैं। नीतीश कुमार बिहार भी ऐसे लीडर में शामिल हैं। वहीं लालू प्रसाद यादव बिहार के सीएम व कैबिनेट मिनिस्टर रह चुके हैं। सुशील मोदी बिहार के डिप्टी सीएम रह चुके हैं। राम विलास पासवान जो वर्तमान में कैबिनेट मिनिस्टर हैं।

सरकार में बैठे लोगों की मंशा साफ नहीं है। राजनेता मंच मिलने पर एजुकेशन के विकास के लिए वादा तो कर लेते हैं, लेकिन भूल जाते हैं। राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनने में देर नहीं लगेगा।

- प्रो रणधीर कुमार सिंह, पटना यूनिवर्सिटी