-सरकारी तंत्र में आपदा की जानकारी का अभाव

-पटना के लिए स्पेशलाइज डाटा का अभाव

-भूकंप के मामले में बिहार सेंनसिटिव जोन में

PATNA : शनिवार को पटना में आये भूकंप ने एक साथ कई सवाल छोड़ गया है। हर जगह कंस्ट्रक्शन का ही जाल है लेकिन भूकंप से बचाव का ध्यान किसी को नहीं है। शहर के कई इलाकों में ऐसा हाल है कि बचाव के लिए वहां कोई राहत पहुंच भी नहीं सकती है। अवेयरनेस और बचाव के उपायों की बात करें तो सरकारी काम-काज की गति भूकंप के झटकों से नहीं बचा सकती है। इसे लेकर सरकार के पास फिलहाल योजना है लेकिन उसका इंप्लीमेंटेशन नहीं। शहर के डेवलपमेंट के लिए प्राधिकरण ही नहीं है। आपदा के लिए प्राधिकरण तो है लेनिक इसकी योजनाएं कागजों पर ही हैं।

पटना स्पेसिफिक की जानकारी नहीं

भले ही भूकंप की भविष्यवाणी नहीं हो सकती है लेकिन इससे होने वाले नुकसान को मिनिमाइज किया जा सकता है। लेकिन हद है कि पटना में न तो मौसम विभाग और न ही आपदा प्रबंधन के पास कोई ऐसा मैकेनिज्म या सिस्टम है जिसमें इससे संबंधित आंशिक असर के होने को भी समय रहते जानकारी लिया जा सके। पूरे स्टेट में एक मात्र अर्थक्वेक मॉनिटरिंग स्टेशन वेस्ट चंपारण के वालमीकि नगर में है। यही वजह है कि पटना में इसके बारे में न तो कोई स्टडी है और न ही कोई सटीक जानकारी।

प्रचार तंत्र भी कमजोर

बिहार न केवल गरीब राज्य है बल्कि आपदा प्रभावित राज्यों में टॉप पर है, लेकिन भूकंप सहित विभिन्न आपदा से निपटने और उसका सामना करने के लिए समुचित उपायों को लेकर सरकार का प्रचार तंत्र पूरी तरह विफल है। बिहार दिवस और कुछ सरकारी समारोह को छोड़ दें तो प्राधिकरण के पास इससे बचाव के लिए जानकारी के प्रसार का अभाव दिखता है।

बिल्डिंगों में सिर्फ एग्जिट की जानकारी

पटना में अधिकांश बिल्डिंगों में इमरजेंसी के दौरान क्या करें और क्या न करें, इस बात की जानकारी के लिए बोर्ड लगाने में कोई रुचि नहीं दिखती। भूकंप जैसे आपदा में जान-माल का नुकसान अगर कम से कम करना है तो इसके लिए जानकारी का समुचित प्रसार होना चाहिए। मॉल और हाई राइज बिल्डिंग में केवल इमरजेंसी एग्जिट का साइन बोर्ड लगा होता है।

आपदा प्राधिकरण का दावा

बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के वाइस चेयरमैन अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि प्राधिकरण आपदा को लेकर गंभीर हैं। इस बात को लेकर हाल ही में बिहार दिवस पर अलग-अलग प्रकार की बिल्डिंग के लिए सेफ्टी नॉ‌र्म्स और अर्थक्वेक रेसिस्टेंट बनाने का मैसेज हाईलाइट किया गया था। इसके अलावा इसी साल जनवरी से अर्थक्वेक सेफ्टी सेंटर एंड क्लिनिक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में शुरू किया गया है। यहां हर मंगलवार और बुधवार को अर्थक्वेक रेसिस्टेंट स्ट्रक्चर और बिल्डिंग के सेफ्टी मेजर्स पर नि:शुल्क जानकारी दी जाती है।

बिल्डिंग ऊंची और खतरा बढ़ा

पटना शहर में हाई राइज बिल्डिंग इसे एक मेकओवर का अहसास कराते हों लेकिन इसके साथ खतरा भी बढ़ा है। खासकर पटना के पुराने इलाके जैसे महेंद्रू, भिखना पहाड़ी, आलमगंज व अन्य इलाके। एनआईटी पटना के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के हेड प्रो संजीव सिन्हा ने इस बात का जिक्र करते हुए कहा कि यहां प्राय: बिल्डिंग कोड को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। वैसे कंस्ट्रक्शन अधिक हैं जिसे लोड बियरिंग स्ट्रक्चर कहा जा सकता है। इसमें कंस्ट्रक्शन का पूरा लोड ईट के भरोसे ही होता है। अगर बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के समय एनबीसी और बीआईएस स्टैंडर्ड को फॉलो किया जाए तो खतरे से बचा जा सकता है।