-गांधी मैदान में चल रहा राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव

PATNA: गांधी में राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव-ख्0क्भ् चल रहा है। देश के कोने-कोने से खादी एवं हस्त शिल्प के कलाकार व उत्पादक उत्पाद को लेकर मेले में पहुंचे हैं। मेले में कुटीर उद्योग से संबंधित कई उत्पाद लोगों के सामने बना कर बेचा जा रहा है। मेले में आम लोग काफी रुचि ले रहे हैं। रोजाना अच्छा कारोबार हो रहा है। पहुंचे कलाकारों का कहना है कि हमारे प्रोडक्ट्स की डिमांड अधिक है। हम चाह कर डिमांड पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

दिल्ली में मिलती है अच्छी कीमत

मधुबनी जिले की मधेपुर निवासी रेणु देवी सिक्की और कुश से कई उत्पाद बनाती हैं। रेणु ने यह कला अपने मां से सीखी है। उनके पास स्थाई दुकान नहीं है। रेणु बताती हैं कि मार्केटिंग में शुरू में परेशानी हुई। एसएचजी के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करा रही हैं। आज इतने ऑडर आ रहे हैं कि पूरा करना मुश्किल हो रहा है। इंडस्ट्री डिपार्टमेंट के सहयोग से देश के विभिन्न कोनों में स्टॉल लगाती है। उत्पाद लोग दुबारा खरीद रहे हैं। ऑडर फोन पर मिलता है। दिल्ली व अन्य बड़े बाजारों में अच्छा रेट मिलता है। पटना में रेट में मोल-तोल करते हैं।

जूट ज्वेलरी है फैशन का नया ट्रेंड

ग‌र्ल्स जूट ज्वेलरी काफी पसंद कर रही हैं। सरस महोत्सव में मृगनयनी जूट्स चलाने वाली कदमकुआं निवासी डॉ मृगनयनी बताती हैं कि स्टेट में इन दिनों ग‌र्ल्स मॉडर्न दिखने के लिए जूट से तैयार जूट ज्वेलरी खूब पसंद कर रही है। बिहार में जूट तो मिल जाता है लेकिन मोती, रिंग, सहित अन्य मेटेरियल लोकल मार्केट में उपलब्ध नहीं है। इसके लिए कोलकाता या अन्य शहरों से लाना पड़ता है। जूट ज्वेलरी, जूट बैग, आर्टिफिसियल बोनासाइ, वॉल हेंगिंग, की रिंग्स, नॉवेलटी आइटम, जूट डॉल, पर्स, लव रिंग, लव बैंड सहित कई आइटम बनाती हैं। डॉ मृगनयनी पटना यूनिवर्सिटी से सॉसियोलॉजी में पीएचडी हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों को पढ़ाने-लिखाने में जॉब नहीं कर पाई। ख्007 में उद्यमिता विकास विकास विभाग से ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग के बाद ख्008 में मेल में स्टॉल लगाने का मौका मिला। हमारे प्रोडक्ट्स को अच्छा रिसपांस मिला। आज ख्0-ख्भ् महिलाएं हमारे साथ जुड़ी हैं। इसके बाद भी हम डिमांड पूरा नहीं का पाते हैं। मेला आदि अवसर पर स्टॉल में अच्छा कारोबार होता है। स्थाई दुकान के लिए पूंजी नहीं हैं। सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिलती है।

बांस प्रोडक्ट्स में लाभ ज्यादा

समस्तीपुर जिले के रामचंद्र राम बांस से घरेलू उपयोग व फैंसी सजावट आइटम तैयार करते हैं। राम चंद्र बताते हैं कि यह कला पिता से विरासत में मिली है। भ्0 रुपए से लेकर दस-बीस हजार तक के समान बनाते हैं। बांस में इंसानों की मूर्तियां आदि आसानी से बनाते हैं। आज में बांस से बने समान में लागत कम एवं मुनाफा ज्यादा है। आम लोग घर को सजाने के लिए इसे खूब पसंद कर रहे हैं।