मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले की है घटना

मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में रहने वाली एक जनजाति के लोगों ने कहा कि जब वो सेना को विरोधियों के सामने असहाय खड़ा पाते हैं तो उन्हें बेहद तकलीफ होती है। कश्मीर में पिछले कुछ दिनो से सेना पर पत्थर मार कर विरोध करने का तरीका जोर पकड़ रहा है। भील जनजाति के लोगों का कहना है कि पत्थर के बदले पत्थर देना चाहिये। भानु भूरिया नाम के एक लड़के ने बताया कि हम गोफान से उन पर हमला करेंगे और विरोधियों को धूल चटा देंगे। गोफान एक तरह से पत्थर फेकने का हाथियार होता है। इसमें एक चमड़े की मुठ्ठी में दोनों ओर रस्सी बंधी होती है। जिसमें चमड़े की मुठ्ठी में पत्थर लगा कर हवा में नचाया जाता है और लक्ष्य की ओर फेका जाता है।

विरोधियों को सिखाना चाहते हैं सबक

वो चाहते हैं कि आर्मी भी गोफान का प्रयोग करे। गोफान को शिकार और खुद को किसी खतरे से बचाने के लिये प्रयोग में लाया जाता है। इन लोगों में कुछ ऐसे लोग हैं जो 50 मीटर तक एक्यूरेसी के साथ निशाना लगाते हैं। झाबुआ जिले इन लोगों ने डिस्ट्रिक कलेक्टर आरसी सक्सेना से मिलकर उन्हें एक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम का मेमोरेंडम दिया है। भोयरा गांव के लोगों ने कहा कि जब देश की सेवा करने का मौका मिले तो जरूर करीनी चाहिय। झाबुआ जिला मध्यप्रदेश के सबसे गरीब जिलों में से एक है। देश में इनका शैक्षिक स्तर दूसरे नंबर पर है। बहुत से लोगों ने अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिये घर छोड़ दिया है। लेबरी करके ये अपना जीवन यापन कर रहे हैं। ट्राइबल लीडर तानतिया भील का कहना है कि हम देश की सेवा करना चाहते हैं।

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