- जेल में से कैदी कर सकेंगे अपने परिजनों को फोन, एक बार में पांच मिनट तक कर सकेंगे फोन पर बात

- हाईटेक होगी पीसीओ मशीन, कॉल करने के लिए पासवर्ड होगा कैदियों का फिंगर प्रिंट, सीडीआर बनेगी

- ई-प्रिजन प्रोजेक्ट के तहत एक क्लिक पर मिलेगा कैदियों का पूरा ब्योरा, जेलों की अपनी होगी अलग वेबसाइट

आगरा। जेल में बंद कैदी हफ्ते में दो बार अपने परिजनों से बात कर सकेंगे। इसके लिए जेलों में पीसीओ लगाए जाएंगे। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए प्रदेश सरकार ने 3.36 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया है। इस प्रोजेक्ट के लागू होने से प्रदेश के तकरीबन 90 हजार और जिले के दो हजार से ज्यादा कैदी इसका लाभ उठा सकेंगे। साथ ही शासन ई-प्रिजन प्रोजेक्ट को भी शुरू करने जा रहा है। इसमें कैदियों का पूरा ब्योरा ऑनलाइन किया जाएगा।

प्रदेश की 67 जेलों में लागू होगा

शासन इस प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश की 67 जेलों में पीसीओ लगाने की तैयारी कर रहा है। इन पीसीओ से सजायाफ्ता और अंडर ट्रायल बंदी अपने परिजनों से हफ्ते में दो बार पांच-पांच मिनट तक बात कर सकेंगे।

दो नंबर लिए जाएंगे

इस प्रोजेक्ट के तहत सभी कैदियों से उनकी पसंद के दो मोबाइल नंबर लिए जाएंगे। इन मोबाइल नंबरों की पुलिस व एलआईयू द्वारा जांच कराई जाएगी। भौतिक सत्यापन में सही पाए जाने पर इन नंबरों को सॉफ्टवेयर पर अपलोड किया जाएगा।

फिंगर प्रिंट होगा पासवर्ड

कैदियों के फिंगर प्रिंट ही कॉल करने के लिए उनका पासवर्ड होगा। सभी कैदियों के फिं गर प्रिंट लिए जाएंगे। बात करने से पहले जैसे ही कैदी अपनी अंगुलियों को पीसीओ मशीन पर रखेंगे, तो उनके द्वारा जेल प्रशासन को मुहैया कराए गए नंबर स्क्रीन पर डिसप्ले हो जाएंगे। इसपर वह पांच मिनट तक अपने परिजनों से बातचीत कर सकेंगे। पांच मिनट पूरी होते ही फोन अपने आप डिसकनेक्ट हो जाएगा।

बातचीत होगी रिकॉर्ड

पीसीओ से बातचीत करते समय कैदियों की पूरी बातचीत सुरक्षा के लिहाज से रिकॉर्ड की जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर उनकी सीडीआर (कॉल डिटेल रिकॉर्ड) भी निकाली जा सकेगी।

इनमें लगेंगी तीन मशीनें

प्रदेश की जिन जेलों में कैदियों की संख्या 1500 या उससे ज्यादा है, उन जेलों में तीन पीसीओ तक लगाए जाएंगे, जबकि अन्य जेलों में एक पीसीओ ही लगाया जाएगा।

ऑनलाइन होगा कैदियों का ब्योरा

प्रदेश की सभी जेलों में कैदियों का ब्योरा ऑनलाइन किया जाएगा। ई-प्रिजन प्रोजेक्ट के तहत कैदियों का पूरा डेटा ऑनलाइन किया जाएगा। ये पूरा प्रोजेक्ट एनआईसी की मदद से 4.50 करोड़ रुपये में तैयार किया जाएगा। इसमें बीएसएनएल से कनेक्शन लिया जाएगा। इसके लिए शासन द्वारा पहले चरण में 1.60 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत कर दी गई है। सभी जेलों की अपनी एक यूनिक वेबसाइट होगी। इसमें एक क्लिक पर कैदियों पूरा ब्योरा सामने होगा। इससे अपराधियों की धरपकड़ में भी पुलिस को सहूलियत होगी।

ई-प्रिजन से मिलेगी यह जानकारी

1- बंदियों की कुल संख्या

2- उनका फोटो

3- जेल में प्रवेश व रिहाई की तिथि

4- बीमारियों से जुड़ा पूरा डेटा

5- कैदी से मुलाकातियों की डिटेल

6- कोर्ट की तारीखों का ब्योरा

7- कौन है जमानतदार