- स्वतंत्रता सेनानी परिवार में ही जन्में थे शांति त्यागी

- बचपन से ही गुनगनाया करते थे क्रांतिकारी गीत

- तीन मार्च 1922 में धरती पर आए थे देशप्रेमी शांति

Meerut मेरठ को ये गर्व है कि क्8भ्7 से लेकर क्9ब्7 तक स्वतंत्रता आंदोलन बेहद ही जोरशोर से चला। जिसमें जनशक्ति की प्रभा बड़े तीव्र वेग के साथ राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी आहूति देता रहा। उनमें से एक प्रमुख नाम शांति त्यागी का भी है। शांति के पिता महाशय हरद्वारी लाल, उनकी मां व उनकी बहने पूरा परिवार स्वतंत्रता आंदोलन में ही जीवन व्यतीत करता रहा। उन्होंने अपनी भागीदारी निभाते हुए जेल में कठोर यातनाएं व अनेक उत्पीड़न सहन किया। मेरठ के ग्राम कैथबाड़ी में जन्में क्रांतिकारी शांति त्यागी से अधिकतम युवा पीढ़ी परिचित है। शांति एक ऐसे वीर थे जिनकी बहनें विद्यावती व तारादेवी भी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में काम करती रही थी। केवल शांति ही नहीं बल्कि देश के प्रति उनके परिवारिक सदस्यों का भी बेहद सहयोग रहा है।

बचपन से ही थे देश प्रेमी

शांति के पिता हरिद्वारी लाल आर्य समाज के प्रमुख लोगों में से थे। इसलिए वह प्रभात फेरी में देश भक्ति के गीत गाया करते थे। गांधी तू देश की शान बन गया, भारत का मान बन गया। जैसे गीतों को वह बचपन से ही इस लोरियों के रूप में सुना करते थे। जिनका प्रभाव शांति पर विशेष रूप से पड़ा। क्9क्8 में उनके पिता हरिद्वारी कांगे्रस में शामिल हो गए थे और देश की आजादी में संघर्ष करते रहे। क्9ख्ख् से ब्ख् तक प्रत्येक जन आंदोलन में गांधीवादी व आर्यसमाजी नेता के रूप में क्रांतिकारी नाम उनके पिता का था। उन दिनों मेरठ के खेतों खलियानों से बिटिश साम्राज्यावाद की बर्बरता के खिलाफ इंकलाब जन्म ले रहा था। जिसमें घर के आंगन व खेतों में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध एक क्रांति के माहौल ने ही शांति त्यागी को देशभक्त इंकलाब बना दिया।

गुनगुनाते थे आजादी के गीत

शांति त्यागी बचपन से ही क्रांतिकारियों के ये गीत गुनगुनाते थे। सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है। शांति नामक बालक गांधीवाद विचार धारा के साथ एक क्रांतिकारी बालक बनता चला गया। एक ही परिवार में क्रांति व शांति दोनों देश की आजादी के काफिले में सम्मिलित थे। धीरे-धीरे एक कांग्रेस परिवार में जन्में गांधीवादी विचारों के बीच शांति आर्यसमाज के आंदोलन व परवरिश पाता हुआ साम्यवादी हो गया। क्9ब्0 में ये विकसित होते हुए एक क्रांतिकारी नेता के रूप में सम्पूर्ण पश्चिमी यूपी में पहचाना जाने लगा।

ब्रिटिश हुकुमत के विरुद्ध की आवाज

शांति वंदेमातरम् के नारों से विकसित हुआ एक कॉमिनिस्ट नेता बन गया। जिसके साथी भरत सिंह, रामदास, मुसद्दीलाल, जयद अहमद, सज्जाद जहरी क्रांतिकारी विचारों को लेते हुए आगे बढ़ते रहें। क्9ब्0 में ब्रिटिश हुकुमत के विरुद्ध यह लोग खतरनाक बनते चले गए। फिर शांति त्यागी पर ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ बगावत करने का मुकदमा चला। जिसकी वकालत चौधरी चरण सिंह ने स्वयं की थी। तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट एआर गिल से चौधरी चरण सिंह से उनकी कानूनी बहस भी हुई थी। इतिहासकार व प्रमुख लेखक धर्म दिवाकर ने बताया कि शांति मोदीनगर, मेरठ, यूपी व देशभर के प्रमुख साम्यवादी नेता के रूप में जेल में यातनाएं भी सही हैं।

गोवा मुक्ति में भी सहयोग

इतिहासकार व प्रमुख लेखक धर्म दिवाकर ने बताया कि शांति ने साम्यवादी जीवन में रुस की भी यात्रा की है। जिसमें उनका लगाव मजदूर व किसानों के प्रदर्शित होता है। उन्होंने क्भ् अगस्त क्9भ्भ् में गोवा मुक्ति आंदोलन में भागीदारी निभाई। जिसमें निर्णय लिया गया था कि भारत के गोवा मुक्ति आंदोलन सेनानी पुर्तकाल सीमाओं में प्रवेश करेंगे। पांच अगस्त को मेरठ का जत्था रवाना हुआ था। जिसमें शांति त्यागी के नेतृत्व में वहां गोवा के बार्डर पहुंचे थे। जहां पर शांति त्यागी, गजादर तिवारी, वीएस विनोद, बसंत राय, सुभद्रा जोशी आदि आगे बड़े। शांति त्यागी एक स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, मजदूर नेता की तरह सदा देशसेवा का काम करते हुए तीन मार्च ख्00क् में अमर हो गए।