2000 लोगों को 2016 में फर्जी तरीके से दी गई पेंशन

आई शॉकिंग

-समाज कल्याण विभाग में हुआ फर्जीवाड़ा

-आयुक्त ने तलब किया अफसरों का ब्योरा

देहरादून: सूबे में घोटालों और घपलों के लिए बदनाम हो चुका समाज कल्याण विभाग फिर एक फर्जीवाड़े को लेकर चर्चा में है। मामला दिव्यांग पेंशन को लेकर है। ये मामला सामने आया है कि विभाग ने वर्ष 2016 में दो हजार लोगों को फर्जी तरीके से दिव्यांग पेंशन दे डाली। ये पूरा मामला तब सामने आया जब आयुक्त ने खुद इसकी जांच की।

जिम्मेदार अफसरों की खैर नहीं

पेंशन फर्जीवाड़े में आयुक्त नि:शक्तजन मनोज चंद्रन ने तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी समेत अन्य जिम्मेदार अधिकारियों का भी ब्योरा तलब किया है। विभाग के पब्लिक पोर्टल पर दर्ज नामों से ये पूरा खुलासा हुआ। इसमें दो हजार फर्जी लोगों के नाम दर्ज हैं जिनको विभाग की ओर से वर्ष 2016 में दिव्यांग पेंशन दी गई। इनमें से एक हजार लोगों की पेंशन वर्ष 2014 में स्वीकृत हुई थी।

ऐसे खुला मामला

आयुक्त नि:शक्तजन मनोज चंद्रन ने जांच में पाया था कि दिव्यांग पेंशन ले रहे दो हजार लोग ऐसे हैं, जिनके नाम दो-दो बार पोर्टल में दर्ज हैं। फिर जिला समाज कल्याण अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए गए। हालांकि, इस पर बचाव करते हुए विभाग ने दावा किया था कि पब्लिक पोर्टल पर उन लोगों के भी नाम दर्ज हैं, जिनकी पेंशन रोकी जा चुकी है, क्योंकि वे फर्जी तरीके से पेंशन ले रहे थे। इसके बाद अपर सचिव ने दोबारा जांच करते हुए वर्ष 2016 का सारा रिकॉर्ड खंगाला तो पता चला कि इन लोगों को विभाग की ओर से अप्रैल, मई व जून की पेंशन दे दी गई है। जांच में यह बात भी सामने आई है कि इन सभी की पेन्शन 2012 के बाद स्वीकृत की गई। इनमें से एक हजार की पेन्शन 2014 में स्वीकृत हुई।

क्या हो पाएगी वसूली?

आयुक्त ने माना है कि इस फर्जीवाड़े के लिए विभाग की ही लापरवाही है। अब आयुक्त ने जानकारी मांगी है कि तब जिला समाज कल्याण अधिकारी कौन थे। साथ ही यदि विभाग डुप्लीकेसी पकड़ चुका है तो संबंधित लोगों से अब तक वसूली क्यों नहीं की गई। इसके अलावा यह भी जानकारी देने को कहा गया है कि इनसे कितनी रकम वसूली जानी है।