ईपीएस-95 के तहत बढ़ाई जाए पेंशन की रकम
पेंशनर की मांग है कि कर्मचारी पेंशन स्कीम 1995 के तहत देशभर के पेंशनरों की न्यूनतम पेंशन बढ़ाकर 7.5 हजार रुपये की जाए। द ईपीएस-95 नेशनल एजिटेशन कमेटी के नेतृत्व में देश भर से करीब एक लाख पेंशनर अपनी मांगों को लेकर लामबंद हैं। उनका कहना है कि अभी ईपीएफओ जो देता है उससे दो लोगों को तो छोडि़ए एक आदमी का भी गुजारा बमुश्किल हो पाता है। इसी बात से नाराज लोग प्रदर्शन कर रहे हैं।
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अभी मिलती है सिर्फ 1000 रुपये पेंशन
ईपीएस-95 के तहत अभी न्यूनतम पेंशन राशि मात्र 1000 रुपये प्रति माह है। तकरीबन 60 लाख लोगों को इस स्कीम के तहत पेंशन मिलती है। इनमें से करीब 40 लाख लोगों को प्रति माह 1500 रुपये से भी कम राशि बतौर पेंशन मिलती है। बाकी लोग 2000 से 2500 रुपये प्रतिमाह के अधिकतम पेंशन पाते हैं। यानी न्यूनतम 1000 रुपये और अधिकतम 2500 रुपये पेंशन मिलती है।
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मांगों के लिए तीन दिन करेंगे भूख हड़ताल
संघर्ष कमेटी का कहना है कि इतनी रकम एक आदमी के जीवन यापन के लिए नाकाफी है। कमेटी के चीफ को-आर्डिनेटर वीरेंद्र सिंह ने कहा कि सेंट्रल प्रोविडेंट फंड आयुक्त के कार्यालय के बाहर ईपीएस-95 के सदस्य तीन दिन के भूख हड़ताल पर बैठेंगे। यदि हमारी मांगों पर गौर नहीं किया गया तो हम 7 दिसंबर से रामलीला मैदान से संसद तक विरोध स्वरूप प्रदर्शन मार्च करेंगे।
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7.5 हजार न्यूनतम पेंशन के साथ डीए भी मिले
संघर्ष समिति के राष्ट्रीय संयोजक कमांडर अशोक राऊत का कहना है कि न्यूनतम 7.5 हजार रुपये प्रति माह के बेसिक पेंशन के साथ डीए भी मिलना चाहिए। इससे पहले अंतरिम राहत के तौर पर न्यूनतम 5000 रुपये बेसिक पेंशन के साथ डीए दिया जाए। उनका कहना था कि महंगाई को देखते हुए पेंशन की यह रकम बिलकुल अनुचित नहीं है। कोशियारी कमेटी ने भी महंगाई को देखते हुए न्यूनतम 3000 रुपये प्रति माह पेंशन की सिफारिश की थी साथ ही पेंशनर और उसके जीवनसाथी को मेडिकल सुविधा की भी सिफारिश की थी।
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ईपीएफओ चलाता है ईपीएस-95
ईपीएस-95 कर्मचारी प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन चलाता है। ईपीएस एक सोशल सिक्योरिटी स्कीम है। इस पेंशन स्कीम से करीब 60 लाख बुजुर्ग परिवार जुड़ा है। संसद में इस मुद्दे के उठाने के बाद लंबी बहस चली। इससे पहले कि कोई ठोस निर्णय हो पाता श्रम मंत्री ने एक अन्य एक्सपर्ट कमेटी का गठन कर दिया। इससे पहले दो साल तक संसद में यह मुद्दा बना रहा।
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