- जाम की समस्या से आए दिन जूझ रहे शहरवासी

-एमडीए ने न्यू टीपी नगर योजना का किया था श्रीगणेश

-जमीन अधिग्रहण न होने के चलते अधर में लटकी योजना

Meerut । महानगर में ट्रैफिक समस्या दिनों-दिन विकराल रूप लेती जा रही है। शहर के अधिकांश मुख्य मार्ग और चौराहे ट्रैफिक लोड के बोझ से कराह रहे हैं। सबसे बुरा हाल तो दिल्ली रोड का है। एक ओर यहां भैंसाली बस अड्डे ने मुसीबत खड़ी कर रखी है, वहीं दूसरी ओर ट्रांसपोर्ट नगर ने जाम की समस्या को और भी अधिक पेचीदा कर दिया है।

हैवी व्हीकल लगाते हैं जाम

दिल्ली रोड स्थित ट्रांसपोर्ट नगर होने के कारण सभी भारी वाहन यहीं से होकर गुजरते हैं। यही भारी वाहन मुख्य मार्ग पर जाम की विकट समस्या खड़ी कर देते हैं। दरअसल, यहीं से सभी भारी वाहनों की आवाजाही होती है। ऐसे में भैंसाली स्टैंड से अधिकांश रोडवेज बसें भी दिल्ली रोडवेज से होकर गुजरती हैं।

एमडीए की कवायद फेल

दरअसल, हैवी टै्रफिक प्रेशर से जूझ रहे शहर में जाम लगने के कारणों में ट्रांसपोर्ट नगर की बडी भूमिका समझी जाती है। इसलिए शहर को जाममुक्त बनाने के लिए एमडीए ने ट्रांसपोर्ट नगर को शहर से बाहर ले जाने की प्लानिंग की थी। एमडीए का मानना है कि ट्रांसपोर्ट नगर शहर से बाहर जाते ही शहर में ट्रैफिक का बोझ काफी हद तक कम हो जाएगा।

न्यू टीपी नगर का प्लान

न्यू टीपी नगर योजना को मूर्त रूप देने के लिए मेरठ विकास प्राधिकरण ने पांचली खुर्द गांव में 33 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने का ब्लूप्रिंट तैयार किया था। किसानों की मांग ने एमडीए का गणित बिगाड़ दिया। एमडीए ने योजना के लिए पांचली खुर्द की जिस जमीन का अधिग्रहण प्रस्ताव तैयार किया था। उस जमीन के किसानों ने एमडीए से चार गुणा रेट मांगे हैं। किसानों की इस मांग से एमडीए सकते में आ गया है।

33 एकड़ जमीन का मामला

दरअसल, हैवी टै्रफिक प्रेशर से जूझ रहे शहर को जाम झमेलों से निजात दिलाने के लिए न्यू टीपी नगर योजना का प्रस्ताव तैयार किया था। योजना के अंतर्गत ट्रांसपोर्टनगर को शहर से बाहर शिफ्ट किया जाना था। एमडीए ने इसके लिए पांचली खुर्द गांव में 33 एकड़ जमीन के अधिग्रहण का ब्लू प्रिंट बनाया था। जिसके अनुसार किसानों से वार्ता कर भू-अर्जन की धारा (4) के अंतर्गत विकास प्राधिकरण किसी भी योजना के लिए अधिग्रहण की जानी वाली जमीन को चिह्नित भी कर लिया गया था।

किसानों ने मांगा चार गुना रेट

किसानों ने एमडीए से नई भू-अधिग्रहण नीति के अंतर्गत जमीन के चार गुना रेट मांगे हैं। जिस हिसाब से जमीन के रेट 48,000 रुपए वर्ग मीटर बनता है। ऐसे में 33 एकड़ जमीन की राशि जुटाना एमडीए के लिए दूर की कोड़ी बनी है। यही कारण है कि एमडीए ने किसानों की डिमांड के सामने हाथ खड़े कर दिए हैं। अफसरों के अनुसार किसानों की मांग बहुत अधिक है। ऐसे में इतनी महंगी जमीन खरीदने के बाद उसको डेवलप करना एमडीए के लिए घाटे का सौदा है।

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किसानों से वार्ता का क्रम जारी है। जमीन का जो दाम किसानों ने मांगा है, वो बहुत अधिक है। जल्द ही किसी रेट पर सहमति बन जाएगी।

-करनवीर सिंह, तहसीलदार एमडीए

फैक्ट एंड फीगर

-कुल ट्रांसपो‌र्ट्स -450

-कुल ट्रक ऑनर - 1200

-कुल ट्रक - 5000

-बाहर से आने वाले ट्रक - 1000 से 2000

ट्रांसपो‌र्ट्स स्टैड

मेरठ । ट्रांसपो‌र्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव शर्मा का कहना है कि एमडीए ने किसानों से सर्कल रेट के आधार पर जमीन खरीदने की योजना बनाई है। जबकि वहीं जमीन ट्रांसपोटर्स के लिए 20 हजार रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से रखी है। गौरव ने बताया कि वर्तमान ट्रांसपोर्ट नगर में जमीन का रेट 20 हजार के आसपास है। ऐसे में न्यू टीपी नगर की जमीन जंगल क्षेत्र में है। इसलिए इतनी महंगी जमीन खरीदने का औचित्य नहीं बनता।

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मोहीउद्दीनपुर में जमीन का प्रस्ताव

गौरव शर्मा ने बताया कि दिल्ली रोड स्थित मोहीउद्दीनपुर में सस्ती दरों पर जमीन उपलब्ध है। रेलवे क्रॉसिंग से खरखौदा रोड पर पड़ी बंजर जमीन 500 रुपए प्रति गज के हिसाब से मिल मिल सकती है। सभी ट्रांसपो‌र्ट्स ने मिलकर एमडीए को यह प्रस्ताव दिया था, लेकिन एमडीए महंगी जमीन खरीदने पर अड़ा है।

प्रस्तावित न्यू टीपी नगर की जमीन ट्रांसपो‌र्ट्स के लिहाज से बहुत महंगी है। विकास की योजना का ट्रांसपो‌र्ट्स को भी लाभ मिलना चाहिए।

-गौरव शर्मा, अध्यक्ष मेरठ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन

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ट्रांसपोर्ट का शिफ्ट होना शहर की सेहत के लिए आवश्यक है। मैंने बोर्ड बैठक में हमेशा इस बात को प्राथमिकता पर रखा है। न्यू टीपी नगर बसते ही शहर में जाम की समस्या खत्म हो जाएगी।

-डॉ। राजेश, मेंबर एमडीए बोर्ड

शहर में जाम से बुरा हाल है। जबकि जाम का मुख्य कारण ट्रांसपोर्ट नगर है। ट्रांसपोर्ट नगर का शिफ्ट होना बेहद जरूरी है।

-नरेश अग्रवाल, आरटीआई एक्टीविस्ट

दिल्ली रोड जाम से प्रभावित मुख्य रोड है। यहां जाम का असल कारण ट्रांसपोर्ट नगर और भैंसाली बस स्टैंड है।

-हरविंदर सिंह, गंगानगर

शहर का एक भी ऐसा मुख्य मार्ग नहीं है, जहां जाम न लगता हो। ट्रैफिक कंट्रोल को लेकर प्रशासन के पास कोई प्लान नहीं है।

-नितिन गुप्ता, शास्त्रीनगर