एएसआइ की टीम ने शुरू की तैयारी

18 अक्टूबर का इंतजार अब पूरे देश को है. जब उत्तर प्रदेश में बीघापुर तहसील के डौंडियाखेड़ा गांव में भारत के ताजा इतिहास में खजाने की सबसे बड़ी खोज शुरू होगी. खुदाई का दिन इस ग्रामीण अंचल में उत्सुकता और रोमांच का समां बांध रहा है. अभी तक वीरान रहा राजा राव रामबख्श सिंह का किला जिज्ञासुओं की भीड़ से गुलजार होने लगा है. खुदाई स्थल पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआइ) की टीम ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. इंतजार है, बस पहली कुदाल चलने का. नतीजा आने में कितना वक्त लगेगा, यह अभी तय नहीं है.

मन्नते मांगने में लगे लोग

सोने का अकूत भंडार मिलने का सुनहरा सपना देख रहे डौंडियाखेड़ा की सुबह अब राव के किले की देहरी से हो रही है, जहां बने मंदिर में खजाने की खोज सफल होने की मनौती मानी जा रही है. इस खजाने का आकर्षण ऐसा है कि बीघापुर तहसील के ही नहीं बल्कि दूर-दूर के लोग और मीडिया यहां खिंचा चला आ रहा है. हर कोई किले की राह पूछता मिलता है. इनमें से तमाम लोग शोभन सरकार के भक्त हैं, जो उनके सपने को सच होते देखना चाहते हैं. जबकि कुछ लोग इस रोमांचक अभियान के साक्षी बनना चाहते हैं.

सबके सपने हुए सुनहरे

डौंडियाखेड़ा में गड़ा खजाने का स्वप्न भले ही संत शोभन सरकार ने देखा लेकिन अब तमाम परिवार संत के सपने के सहारे अपने ख्वाब बुन रहे हैं. गांववालों को भी उम्मीद है कि खजाने के बहाने गांव के दिन बहुरेंगे. राजा राव रामबख्श सिंह के किले में 1000 टन सोना दबे होने की बात फैलते ही कई दावेदार भी प्रगट हो गए हैं. खजाने के दावेदार खुद को राजा का वंशज बता रहे हैं. एक दावेदार ने एक सर्टिफिकेट दिखाया, जिसमें उसके अनुसार डीएम ने उन्हें राजा का वंशज घोषित किया था.

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