LUCKNOW (14 July): यूपी विधानसभा पर आतंकी हमले की बड़ी साजिश रची गयी है। खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में शुक्रवार को इसका खुलासा किया है। उन्होंने जांच नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) से कराने का अनुरोध विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से किया, जिसे मंजूर कर लिया गया। इसमें सभी दलों ने सहमति भी प्रदान कर दी। साथ ही विधानसभा की सुरक्षा को चाक-चौबंद करने को बड़े पैमाने पर बदलाव की तैयारी भी शुरू हो गयी है। बता दें कि गत 12 जुलाई को विधानसभा में सपा सदस्यों की दीर्घा में 150 ग्राम पाउडर मिला था। फॉरेंसिक जांच में इसकी बेहद खतरनाक माने जाने वाले पीईटीएन एक्सप्लोसिव के रूप में पहचान की गयी। मामले में विधानसभा के चीफ मार्शल कैप्टन मनीश चंद्र राय की तहरीर पर हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है।

 

आतंकी साजिश या शरारत

दरअसल विधानसभा के मुख्य मंडप में सपा सदस्यों की दीर्घा में मिले एक्सप्लोसिव की मात्रा 150 ग्राम थी। सीएम ने कहा कि फॉरेंसिक वैज्ञानिकों ने बताया कि यदि इसकी मात्रा 500 ग्राम होती तो यह पूरी विधानसभा को नेस्तनाबूद करने के लिए पर्याप्त थी। आशंका जताई जा रही है कि साजिश के तहत विधानसभा में सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देकर धीरे-धीरे एक्सप्लोसिव व अन्य सामान पहुंचाने की कोशिश की जा रही थी ताकि मौका मिलते ही वहां पर बम तैयार किया जा सके। वहीं इसके पीछे किसी सदस्य की शरारत की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।

 

मनोज पांडे की सीट के नीचे मिला

विधानसभा में नेता सदन के सामने नेता विरोधी दल राम गोविंद चौधरी की सीट है। उनकी सीट से पीछे तीसरी दीर्घा में रायबरेली के ऊंचाहार से सपा विधायक मनोज कुमार पांडेय की सीट के नीचे नीले रंग की पॉलीथीन में एक्सप्लोसिव छिपाकर कर रखा गया था। गत 12 जुलाई को विधानसभा की कार्यवाही समाप्त होने के बाद जब डॉग स्क्वायड ने तलाशी ली तो वह भी पहचान नहीं सका। हालांकि सफाई के दौरान पाउडर मिलने पर सुरक्षाकर्मियों को शक हुआ तो इसे चुपचाप फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया।

 

विधायकों के चेहरे पर खौफ

पाउडर मिलने के बाद पिछले दो दिन से मामले की गोपनीय जांच की जा रही थी। पाउडर के हाई एक्सप्लोसिव होने की पुष्टि होने पर गुरुवार और आज बम डिस्पोजल टीम, डॉग स्क्वायड, एटीएस आदि ने विधानसभा के चप्पे-चप्पे की तलाशी ली। विधानभवन के सभी गेटों में सुरक्षा बढ़ा दी गयी और हर आने-जाने वाले की सघन तलाशी ली जाने लगी। सुबह विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले यह खबर विधायकों तक भी पहुंच गयी लिहाजा उनके चेहरों पर खौफ देखा गया। हर विधायक इस मामले की सच्चाई पता लगाने की कोशिश कर रहा था। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूरे घटनाक्रम से विधानसभा अध्यक्ष और सदस्यों को अवगत कराया। इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष ने सभी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई और उन्हें विस्तार से पूरा मामला बताया। सभी ने विधानसभा की सुरक्षा बढ़ाने का समर्थन किया।

 

यूपी: विधानसभा उड़ाने की आतंकी साजिश,खतरनाक विस्फोटक petn मिला

 

महज 100 पीईटीएन ने उड़ सकता है कमरा

फॉरेंसिक रिपोर्ट में जिस पाउडर को बेहद शक्तिशाली एक्सप्लोसिव करार दिया गया है वह आसानी से उपलब्ध नहीं होता है। इसका पूरा नाम पेंटाईरीथ्रीटोल ट्राई नाइट्रेट (पीईटीएन) है जिसकी छोटी सी मात्रा भी खतरनाक होती है। इसका इस्तेमाल खनन के दौरान बड़े विस्फोट अंजाम देने के लिए किया जाता है। पांच सौ ग्राम पीईटीएन एक्सप्लोसिव से होने वाले धमाके के दस मीटर के दायरे में आने वाली हर चीज बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाती है। ये कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महज इसकी 50 से 100 ग्राम मात्रा एक कार या कमरे का उड़ा सकती है।

यूपी में इसकी खेप नेपाल के जरिए आती है जिसे खनन कार्य में इस्तेमाल किया जाता है अथवा आतंकी संगठन इसकी मदद से सीरियल बम धमाके अंजाम देते हैं।

 

डॉग स्क्वायड भी खा जाते हैं गच्चा

आतंकियों द्वारा इसे पसंद करने का सबसे बड़ा कारण है कि ये आसानी से पकड़ में नहीं आ पाता है। मेटल डिटेक्टर से खोजी कुत्ते तक पीईटीएन को पकडऩे में गच्चा खा जाते हैं। असल में ये गंधहीन सफेद पाउडर होता है। साथ ही ये प्लास्टिक की त्वचा जैसा होता है जो कि मेटल डिटेक्टर की पकड़ में भी नहीं आता। इस पर पानी का असर भी नहीं होता है। बेहद खतरनाक होने की वजह से कई देशों में इस पर प्रतिबंध भी लगाया जा चुका है। जानकार बताते हैं कि डेटोनेटर के साथ पीईटीएन बड़ी तबाही मचा सकता है। दरअसल, यह एक्सप्लोसिव अकेले धमाका नहीं कर सकता है। इसके लिए डेटोनेटर का होना जरूरी है। सफेद रंग का ये पाउडर दुनिया के सबसे खतरनाक चार-पांच विस्फोटकों में से एक माना जाता है।

 

क्या है PETN

पेंटाएरीथ्रीटोल ट्राइनाइट्रेट, बेहद पावरफुल प्लास्टिक एक्सप्लोसिव, आतंकियों के बीच पॉपुलर गंधहीन सफेद पाउडर होता है। प्लास्टिक की त्वचा जैसा होता है जो कि मेटल डिटेक्टर की पकड़ में भी नहीं आता। इस पर पानी का असर भी नहीं होता है। कई देशों में प्रतिबंध भी

 

पहले कहां

- 7 सितंबर 2011 को दिल्ली हाई कोर्ट में ब्लास्ट में इस्तेमाल, 17 की मौत और 76 घायल

-फ्रांस, अमेरिका, सऊदी अरब, लंदन और दुबई में पिछले कुछ सालों के दौरान हुई आतंकी घटनाओं में इस्तेमाल हुआ।

- 1912 में उत्पादन शुरू हुआ और प्रथम विश्वयुद्ध के वक्त जर्मन सेना ने पहली बार इस्तेमाल किया था।

-सेना और माइनिंग के कामों में भी प्रयोग होता है

 

क्यों पसंद

लो मॉलीक्यूल्स होने के चलते मेटल डिटेक्टर की पकड़ से दूर, डॉग स्क्वायड को भी गच्चा।

 

खुफिया एजेंसियों में हड़कंप

विधानभवन में एक्सप्लोसिव मिलने के बाद खुफिया एजेंसियों में भी हड़कंप मच गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल शाम अपने तय शेड्यूल से इतर जाते हुए वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाकर उन्हें लापरवाही के लिए जमकर फटकारा। सुबह भी उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद सदन को पूरे मामले की जानकारी दी। वहीं गृह विभाग ने भी राज्य सरकार ने इस मामले की रिपोर्ट तलब कर ली।  दूसरी ओर आईबी भी सक्रिय हो गयी और उसने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को पूरे घटनाक्रम की जानकारी भेज दी।

 

एनआईए ने किया था अलर्ट

विधानभवन में अनौपचारिक बातचीत में एक काबीना मंत्री ने बताया कि कुछ दिन पहले दिल्ली में एनआईए के अधिकारियों ने उनसे मुलाकात कर आगाह किया था कि पश्चिमी यूपी समेत कुछ इलाकों में आतंकियों द्वारा हथियार और विस्फोटक की खेप भेजे जाने के सुराग हाथ लगे हैं। इसे लेकर राज्य सरकार गहन जांच कराने की तैयारी में भी थी।

 

सीसीटीवी से सामने आएगा सच

सदन के भीतर यह एक्सप्लोसिव किसने रखा, इसकी पड़ताल तेज हो गयी है। विधानसभा के सारे सीसीटीवी के डीवीआर खंगाले जा रहे हैं ताकि शरारती तत्व की पहचान की जा सके। विधानसभा की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले मार्शल्स की मानें तो सफाई के बाद गेट पर ताला लगाने तक सीसीटीवी काम करते रहते हैं। इसकी पूरी मॉनिटरिंग एनेक्सी में बने कंट्रोल रूम से की जाती है।

 

जांच को भेजा जाएगा आगरा

महानगर स्थित फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी में पाउडर की प्रारंभिक जांच में इसके पीईटीएन होने की पुष्टि की गयी है, हालांकि अब इसे अग्रिम जांच के लिए आगरा स्थित फोरेंसिक लैब भेजने की तैयारी है। एफएसएल के डिप्टी डायरेक्टर डॉ। गयासुद्दीन खान ने बताया कि 150 ग्राम विस्फोटक से करीब 300 स्क्वायर फिट दायरे में खासी तबाही मच सकती है।

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