- वेतनमान को लेकर दोनों संवर्गो में छिड़ा है विवाद

- फार्मासिस्ट बोले मुकदमा करेंगे, नर्सेज बोलीं चुनौती मंजूर

DEHRADUN : स्वास्थ्य विभाग के फार्मासिस्ट्स और नर्सेज के बीच वेतनमान को लेकर लगातार तल्खी बढ़ती जा रही है। परस्पर आरोप-प्रत्यारोप के बीच फार्मासिस्ट्स ने नर्सेज के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की चेतावनी दी है, तो नर्सेज ने इस चुनौती को स्वीकार किया है। दोनों संवर्गो के बीच की यह तनातनी स्वास्थ्य विभाग के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। दोनों पक्षों ने हड़ताल करने की चेतावनी भी दी है।

क्या है मामला

वर्ष ख्0क्फ् से पहले नर्सेज और फार्मासिस्ट्स का वेतनमान केन्द्र के बराबर था। ख्0क्फ् में फार्मासिस्ट का वेतनमान बढ़ा दिया गया था। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा गठित वेतन विसंगति समिति ने फार्मासिस्ट्स के वेतनमान को अधिक बताकर इसे केन्द्र के बराबर करने की सिफारिश की थी। कैबिनेट ने इसे स्वीकार भी कर दिया था, लेकिन फार्मासिस्ट के विरोध के बाद कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर फिर से विचार करने के लिए समिति को लौटा दिया। इसके बाद नर्सेज मुखर हो गई। नर्सेज ने मांग की है कि या तो उनका वेतनमान भी बढ़ाया जाय या फिर फार्मासिस्ट्स का वेतनमान केन्द्र के बराबर किया जाए।

फार्मासिस्ट्स का तर्क

डिप्लोमा फार्मासिस्ट्स एसोसिएशन का कहना है कि उनकी योग्यता नर्सेज से ज्यादा होती है और वे पर्वतीय इलाकों में दुर्गम क्षेत्रों में भी काम करते हैं। इसी आधार पर उनका वेतनमान बढ़ाया गया है। नर्सेज को अपना वेतनमान बढ़ाने की मांग करनी चाहिए, न कि फार्मासिस्ट का कम करने की।

नर्सेज का तर्क

नर्सेज सर्विसेज एसोसिएशन का कहना है कि फार्मासिस्ट ने उन कामों को अपना काम बताकर अपना वेतनमान बढ़वाया है, जो वास्तव में वे नहीं नर्सेज करती हैं। उनका दो साल का डिप्लोमा होता है, जबकि नर्सेज साढ़े तीन साल अथवा पांच साल का डिग्री कोर्स करती हैं। मैदानी क्षेत्रों में फार्मासिस्ट को दुर्गम के नाम पर अधिक वेतन नहीं मिलना चाहिए।

एक-दूसरे को चुनौती

नर्सेज की हड़ताल की चेतावनी के बाद फार्मासिस्ट ने कहा है कि यदि उन्होंने हड़ताल की तो वे नर्सेज के हिस्से का सभी काम करने में सक्षम हैं। उधर, नर्सेज ने भी कहा है कि यदि वेतनमान कम करने से नाराज होकर फार्मासिस्ट हड़ताल करते हैं तो सरकार या स्वास्थ्य विभाग को घबराने की जरूरत नहीं है, वे उनका काम बखूबी कर सकती हैं।