-पीएचडी डिग्री धारकों के अप्रूवल लेटर पर संकट गहरा गया है

-गवर्नमेंट जॉब की राह में मात्र एक सर्टिफिकेट आड़े आ रहा है

BAREILLY: आरयू की गलती का खामियाजा इन दिनों कई पीएचडी डिग्री धारकों को भुगतना पड़ रहा है। पीएचडी कंप्लीट करने के बाद इन्होंने अपने सुनहरे भविष्य के सपने संजोने शुरू कर दिए थे। लेकिन आरयू की एक गलती और यूजीसी के कड़े नियम इनके सपने को चकनाचूर कर रहा है। गवर्नमेंट जॉब की राह में मात्र एक सर्टिफिकेट आड़े आ रहा है, जिसे आरयू को प्रदान करना है, लेकिन यूजीसी के नियमों के आगे आरयू यह सर्टिफिकेट नहीं दे सकता। उन्हें पीएचडी की डिग्री तो मिल गई है, लेकिन गवर्नमेंट जॉब तब तक नहीं मिल सकती जब तक आरयू उन्हें यह लिखकर नहीं देता कि उनकी पीएचडी की डिग्री यूजीसी के नियमों के अनुरूप है।

नौकरी के लिए चाहिए अप्रूवल

यूजीसी ने पीएचडी के लिए जुलाई ख्009 में नया रेगुलेशन जारी किया था। इसके तहत यूजीसी ने पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया, गाइड का सिलेक्शन समेत पीएचडी सब्मिट करने की पूरी प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर फेरबदल किया था। ऐसे में जिन कैंडीडेट का जुलाई ख्009 के बाद पीएचडी में रजिस्ट्रेशन हुआ था उन्हें गवर्नमेंट जॉब के लिए अप्लाई करते समय यूनिवर्सिटी से एक अप्रूवल लेटर लेना होता है। जिसमें यह लिखा होता है कि उनकी पीएचडी की डिग्री यूजीसी ख्009 रेगुलेशन के अनुरूप है। उन्हें क्क् में से कम से कम 9 प्वाइंट फॉलो करने होते हैं। जबकि जिनकी पीएचडी में ख्009 से पहले रजिस्ट्रेशन हुआ था उन्हें क्क् में से कम से कम म् प्वाइंट फॉलो करने हाेते हैं।

पुरानों को दिया जा रहा है

इस अप्रूवल लेटर को लेकर आरयू में काफी हंगामा भी मचा। आरयू हर बार यूजीसी से सलाह मांगने को लेकर उन्हें टरकाता रहा, लेकिन किसी को भी अप्रूवल लेटर नहीं दिया गया। काफी कवायदों के बाद दो महीने से उन पीएचडी डिग्री धारकों को यूनिवर्सिटी अप्रूवल लेटर देने लगा है, जिन्होंने क् जुलाई ख्009 से पहले पीएचडी में रजिस्ट्रेशन कराया था। आरयू उन्हें कम से कम म् प्वाइंट फॉलो करने का अप्रूवल लेटर दे रहा है।

जुलाई के बाद वालों पर संकट गहराया

यूजीसी ने क् जुलाई ख्009 को नया रेगुलेशन जारी किया। लेकिन आरयू इसके जारी होने के करीब म् महीने तक पुराने नियमों के आधार पर ही पीएचडी में रजिस्ट्रेशन कराता रहा। अब ऐसे पीएचडी डिग्री धारकों के अप्रूवल लेटर पर संकट गहरा गया है। इनके सामने प्रॉब्लम यह है कि आरयू पुराने नियमों के आधार पर अप्रूवल लेटर जारी नहीं कर सकता। साथ ही नए नियमों का अप्रूवल देने में वह खुद ही फंसता नजर आ रहा है। क्योंकि तब उसने अपने ऑर्डिनेंस में नए रेगुलेशन के आधार पर बदलाव नहीं किया था। हालांकि उसके बाद से आज तक आरयू ने पीएचडी के लिए अभी तक एक भी रजिस्ट्रेशन नहीं कराए हैं।

कोर्ट की शरण ले सकते हैं पीएचडी डिग्री धारक

ऐसे पीएचडी डिग्री धारकों की लिस्ट कितनी है इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। फिलहाल करीब क्00 से ज्यादा डिग्री धारकों का होना बताया जा रहा है। इनमें डॉ। मोहम्मद आसिफ खान, डॉ। मोहम्मद अजीम, डॉ। दयावीर गंगवार, डॉ। पुष्पेंद्र, डॉ। हरीश समेत कई डिग्री धारक शामिल हैं। आरयू के साथ इनकी वार्ता चल रही है। कोई हल ना निकलने की सूरत में ये कोर्ट की शरण में जाने को तैयार हैं।