AGRA (24 Nov.): एक तरफ सफेद संगमरमर से बना सौन्दर्य का नायाब नमूना ताजमहल तो दूसरी तरफ फूंस का प्राकृतिक सौन्दर्य। ताज निहारने के दौरान सैलानी फूंस का आकर्षण बरबस ही ध्यान अपनी तरफ खींच लेता है। जबकि कुछ दिनों पहले तक इसी स्थान की सिचुएशन बिल्कुल उलट थी। उजाड़ पड़े इस स्थल को देखकर मेहमान हंसी उड़ाते हुए आगे बढ़ जाते थे। लेकिन, अब हालात बदल चुके हैं।

ताज के पश्चिमी गेट के पास बना है

दुनिया के अजूबे ताजमहल के पश्चिमी गेट के पास स्थित है फूंस बंगला। ताजमहल को देखने के दौरान ही देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों का सामना इस फूंस बंगले से होता है। यही वजह है कि खस्ताहाल पड़े इस स्पॉट को ठीक करने का कार्य किया गया है। प्लान के पूरा होने के बाद अब यह फूंस बंगला पुरानी शान-ओ-शौकतमें लौट आया है। जिसके चलते ताज देखने आने वाले सैलानी इसको देखकर आकर्षित हुए बिना नहीं रह पा रहे हैं।

अंगे्रजी हुकूमत के दौरान रहता था अधीक्षक

राजकीय उद्यान विभाग के उप उद्यान अधीक्षक भैरम सिंह का कहना है कि फूंस बंगले का इतिहास तकरीबन तीन सौ साल पुराना है। फूंस से बनाए गए इस प्राकृतिक रूप से सुन्दर बंगले में अंग्रेजी हुकूमत के समय में उद्यान के अधीक्षक को रखा जाता था। ब्रिटिश गवर्नमेंट जब तक रही तब तक यह स्थल अधीक्षक के आवास के रूप में ही प्रयोग होता रहा।

करीब आठ लाख रुपये हुए खर्च

राजकीय उद्यान विभाग के उप निदेशक उद्यान भैरम सिंह के अनुसार पिछले बीस साल से फूंस बंगले को लेकर कोई काम ही नहीं हुआ। इसी की वजह से यह स्पॉट जीर्ण-शीर्ण हो चला था। फूंस बगले को पुराने स्वरूप में लौटाने के लिए बाकायदा प्लान बनाकर कार्य कराया गया। इसके लिए शासन लेवल से संस्तुति भी ली गई। बंगले को प्राकृतिक रूप से सुन्दर बनाने के लिए तकरीबन आठ लाख रुपये का खर्चा किया गया। इसको तैयार करने में तकरीबन सौ कुंतल फूंस का प्रयोग किया गया है।

बंगले से होती थी ताज की मॉनिटरिंग

अंग्रेजों के शासनकाल के दौर में राजकीय उद्यान विभाग नहीं हुआ करता था। उस जमाने में ताजमहल परिसर के अंदर और आसपास के उद्यानों के साथ ही साथ आगरा के सभी उद्यानों की मॉनिटरिंग अधीक्षक के हाथ में ही रहती थी। इस काम के लिए उस जमाने में अंग्रेज अफसर बाकायदा घोड़े पर सवार होकर घूमा करता था।