महज तीन साल की उम्र ही सत्यजीत रे के पिता सुकुमार रे की डेथ हो गयी थी और उनकी मां की थोड़ी सी कमाई में उनका पालन पोषण हुआ था.
सत्यजीत रे कुछ अनसुनी कहानियां
अपने शुरूआती दिनों में रे ने पब्लिंशिंग हाउस में भी काम किया था. जहां वे बुक्स के कवर डिजाइन करते थे. नेहरू जी की प्रसिद्ध पुस्तक डिस्कवरी ऑफ इंडिया का कवर भी उन्होंने उस दौर में डिजाइन किया था.
1948 में रिलीज हुई इटैलियन फिल्ममेकर वकट्टॉरियो डी सिसिका की फिल्म बाइसिकल थीव्ज और फ्रेंच फिल्ममेकर जीन रिनॉयर से इंस्पायर हो कर ही रे ने पूरी तरह इनडिपेंडेंट फिल्ममेकिंग में आने का फैसला किया.
रे की 1955 में आयी फिल्म पाथेर पंचाली ऐसी पहली फिल्म बनी जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली और इस कांस फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट हृयूमन डॉक्युमेंट्री का सम्मान भी दिया गया.
सत्यजीत रे ने 1956 से 1959 के बीच में अपराजिता और अपूर संसार के साथ अपू ट्रॉयलॉजी की फिल्म पूरी कीं.
छह बार बेस्ट डायरेक्टर का नेशनल अवॉर्ड जीतने वाले वो एकमात्र निर्देशक हैं.
शतरंज के खिलाड़ी सत्यजीत रे के डायरेक्शन में बनी एकमात्र हिंदी फीचर फिल्म है. उन्होंने हिंदी में सदगति भी डायरेक्ट की पर वो केवल टीवी के लिए बनी थी.
1992 में लाइफ अचीवमेंट का ऑनरेरी ऑस्कर अवॉर्ड जीतने वाले वे पहले भारतीय बने लेकिन गंभीर रूप से बीमार होने के कारण वे ये अवॉर्ड लेने नहीं जा सके और अवॉर्ड मिलने के एक महीने से भी कम वक्त में 23 अप्रेल 1992 में उनका देहांत हो गया.
1992 में ही भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया.
2010 में मार्टिन र्स्कोसीज ने माना कि स्टीवन स्पिलबर्ग की प्रसिद्ध फिल्म ईटी रे की फिल्म द एलियन से इंस्पायर थी.
फिल्मों के 100 साल पूरे होने पर बनाई गयी फिल्म बाम्बे टॉकीज में दिबाकर बनर्जी की शॉर्ट फिल्म रे की शॉर्ट स्टोरी पर बेस्ड थी.
सत्यजीत रे को सैन फ्रांसिसको इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में अकीरा कुरोसावा लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान से भी ऑनर किया जा चुका है जहां उनके बिहाफ पर शर्मिला टैगोर ने ये अवॉर्ड एक्सेप्ट किया था. इस चित्र में वे अकीरा और लीजेंडरी फिल्ममेकर माइकलेंजो एंटोनियो के साथ नजर आ रहे हैं.
रे की बर्थ एनिवर्सरी पर ट्रिब्यूट देते हुए गुगल ने उनकी फिल्म पाथेर पंचाली के एक दृश्य का डूडल बनाया था.