शहर चुनें close

सात फेरों की सात नयी शर्तें

7 photos    |   Updated Date: Mon, 23 Mar 2015 10:19:09 (IST)
1/ 7सात फेरों की सात नयी शर्तें
सात फेरों की सात नयी शर्तें

स्पेस दें: जीहां जहां पहले कहा जाता था कि 'साया बन कर संग चलेंगे' या 'तू जहां मैं वहां', वहीं अब ये बदल कर हो गया है 'मैं यहां तू वहां', लेकिन इसका मतलब एक दूसरे से जुदा होना नहीं है बल्कि एक दूसरे के साथ रह कर भी एक दूसरे अलग अपनी जिंदगी को जीने की कोशिश करना. जब एक ही घर और पेरेंटस से जुड़े हो कर भी सिबलिंग्स एक जैसे नहीं होते तो दो अलग परिवेश से आए दो लोग एक जैसे कैसे हो सकते हैं. भले ही प्या‍र कितना भी हो एक दूसरे से चिपके रहना और 'जो तुम को हो पसंद वही बात करेंगे' कहते रहना बेहद उबाऊ हो जाता है. इसलिए अपनी अपनी निजी पसंद के साथ कुछ टाइम अकेले जरूर बितायें और अपने पार्टनर को भी बिताने दें.

2/ 7सात फेरों की सात नयी शर्तें
सात फेरों की सात नयी शर्तें

रेस्पेक्ट करें: अब वो दौर नहीं रहा कि आप कहें 'बैठ जा और वो कहे बैठ गयी' या फिर कहा जाए 'मैं जोरू का गुलाम बन कर रहूंगा'. एक दूसरे को अपने इशारे पर नाचने के लिए कहने से या ऐसी उम्मीद करने से रिश्ते का बैलेंस बिगड़ता है इसलिए एक दूसरे की बात सुनें जरूर पर सम्मान के साथ और ये उम्मीद ना करें की किसी एक का फैसला आखिरी होगा, बल्कि वो करें जो आपके रिश्ते के लिए सही होगा.

3/ 7सात फेरों की सात नयी शर्तें
सात फेरों की सात नयी शर्तें

खोया पहले वाला प्याय रे: रिश्ता तो है पर प्यार भी है! नहीं ये एकदम सही सवाल है आप दस से पंद्रह साल की शादीशूदा जिंदगी गुजार चुके कपल से पूछिए तो इस सवाल का जवाब उलझा सा मिलेगा. हां है ना टाइम में उनकी पसंद का खाना बनाती हुई बीवी मिलेगी और बथडे और एनिवर्सरी पर तोहफे देने वाले पति मिलेंगे. लेकिन प्यार...... पड़ गए ना सोच में प्यार क्या बस यूंही हाथों में हाथ डाले थोड़ी दूर वॉक करना, साथ में चाय पीना या कुछ देर बिना वजह किसी बेवकूफी की बात पर जोर जोर से हंसना. कुछ याद आया शुरू के दिनों में ऐसा ही होता था ना बिना वजह हंसना मुस्कराना, या छत पर टहलना.

4/ 7सात फेरों की सात नयी शर्तें
सात फेरों की सात नयी शर्तें

सेक्सुअल फिटनेस: नहीं यहां हम आपके सेक्सुअल रिलेशन की बात नहीं कर रहे. हम बात कर रहे हैं दिल, दिमाग और इमोशनल बैलेंस वाली फिट रिलेशनशिप की. फिजिकल रिलेशन होना और उनके बीच आपकी दिल दिमाग और भावनाओं के साथ मौजूद होना दो अलग बातें हैं. यानि ये शादीशुदा रिश्ते की पैकेज डील नहीं है बल्कि आपकी बांडिंग की बात है. अगर आप इस रिश्ते को स्था‍यी बनाना चाहते हैं तो अपनी और अपने पार्टनर दोनों की पूरी एकाग्रता के बीच अपने प्यार भरे लम्हें जिएं. ना तो खुद इसे एक ड्यूटी की तरह पूरा करें और ना ही पार्टनर से दीमागी गैरहाजिरी के बीच इसे निपटानें जैसा फील करें.

5/ 7सात फेरों की सात नयी शर्तें
सात फेरों की सात नयी शर्तें

विनम्र रहें और धैर्य रखें: याद रहे हुक्म देने वाला और उसके पालन में जल्दी मचाने वाला मालिक होता है पार्टनर नहीं. जो आप चाहते हैं वो एक पल में हो जाएगा ये पॉसिबल नहीं है इसलिए शादीशुदा जोड़ों को विनम्र रहने और धैर्य रखने की आदत बना लेनी चाहिए. दुनिया में कोई परफेक्ट नहीं होता इसलिए हमें अपनी गलतियों को स्वीकारना और दूसरे की गलतियों पर शांत रहना आना होगा. क्योंकि शादी कोई कारपोरेट हाउस नहीं है जिसमें एक इंप्लाइ है और दूसरा इप्लायर बल्कि ये ज्वाइंट वेंचर है जिसे अगर कामयाब बनाना है दोनों को अपना हंड्रेड परसेंट देने के साथ अपने पार्टनर को माफ करना करना होगा और मिल कर बिगड़े हुए को सुधारना होगा.

6/ 7सात फेरों की सात नयी शर्तें
सात फेरों की सात नयी शर्तें

टाइम दें: ये सबसे आखिरी और सबसे अहम प्वाइंट है. टाइम आप को दो तरह से इस रिलेशन को सक्सेजफुल बनाने के लिए देना होगा. एक टाइम है इंतजार का, ये रिश्ता वक्त के साथ आकार लेता है तो आप शादी करते ही बेस्ट कपल हो जायेंगे ऐसा बिलकुल नहीं है बल्कि वक्त के साथ कभी सख्ती से कभी प्यार से इस रिश्ते को संवारना पड़ेगा. और दूसरा टाइम है ऐ दूसरे के लिए वक्त‍ निकालने का. जब शादी के कुछ साल बीत जायेंगे तो आप को अपनी बढ़ती जिम्मेदारियों के बीच से वक्त. निकाल कर अपने पार्टनर को देना होगा. जिससे आपकी दुनिया है वही आपके रुटीन से माइनस हो जाए ये बाद शादी के लिए बिलकुल ठीक नहीं है. इसलिए साथ रहने के लिए साथ वक्त जरूर गुजारें.

7/ 7सात फेरों की सात नयी शर्तें
सात फेरों की सात नयी शर्तें

समान नहीं रिश्ता सहेजें: एक टाइम आता है जब शादीशुदा जोड़े इस पर तो ध्यान देते हैं कि घर में आराम के सब साधन आ जायें लेकिन इस पर ध्यान देना भूल जाते हैं कि उनके रिश्‍ते में आराम के सब साधन हैं या नहीं. शानदार सोफा है पर उस पर बैठ कर साथ में कुछ पढ़ने का वक्त है या नहीं ये ध्यान कोई नहीं रखता. लिहाजा 'तन के सौ सुख सौ सुविधा' में मन की दुविधा बढ़ती जाती है कि इस ढेर सारे साजो समान की भीड़ में हमारा रिश्ता रखने की जगह बची है या नहीं.

This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK