शरद पवार ने अपने समर्थकों को नसीहत देते हुए कहा था कि इस बार सतारा और मुंबई में अलग-अलग दिन मतदान हो रहा है, तो आप सब पहले सतारा में वोट करो फिर 24 तारीख को मुंबई में आकर वोट करो. लेकिन ये करते वक्त हाथ पर लगी स्याही पोछना मत भूलना. पिछली बार वोटिंग एक ही दिन हुई थी तो कम वोटिंग हुई. इस बार अलग -अलग दिन वोटिंग है. पवार के इस बयान के तूल पकड़ने के बाद वो विवाद में घिर गए. जिस पर चुनाव आयोग ने उनके द्वारा दिए गए स्याही मिटाकर दोबारा मतदान वाले बयान पर नाराजगी जताई, आयोग ने कहा कि वो भविष्य में सावधानी बरतें और ये सुनिश्चित करें कि वो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं करें.
Controversial remarks made by Indian Politicians
आप के संयोजक अरिवंद केजरीवाल भी इस तोल-मोल के बोल की लिस्ट में शामिल हैं, केजरीवाल ने कहा था कि अगर इस बार अगर मोदी की सरकार बनती है और वो गैस के दामों में कटौती करते हैं, तो वो खुद बीजेपी में शामिल हो जाएंगे. हालांकि अपने बयान के कुछ मिनट बाद ही केजरीवाल अपने बयान से पलट गए. केजरीवाल ने अपने बयान के बाद सफाई देते हुआ कहा कि उन्होंने मोदी को नहीं बल्कि काले झंडे दिखाते हुए बीजेपी समर्थकों को ये बात बोली थी.
कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद ने भी एक ऐसा बयान दिया जिससे सभी शर्मसार हो गए. मसूद ने कहा था कि, मोदी यूपी को गुजरात बनाना चाहता है लेकिन उसे पता नहीं है कि यूपी गुजरात नहीं है. गुजरात में सिर्फ 4 फीसदी मुसलमान हैं जबकि यूपी में 42 फीसदी. मैं मोदी के खिलाफ लड़ूंगा क्योंकि मैं जानता हूं कि उसे कैसे माकूल जवाब दिया जा सकता है. मैं मोदी के टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा. उनके इस बयान पर कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दलों ने कड़ी निंदा की. जिसपर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. अपने इस बयान के चलते ही अदालत ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया.
हाल ही में कांग्रेस उप्धायक्ष राहुल गांधी के कजिन और बीजेपी के सुल्तानपुर कैंडिडेट वरुण गांधी अपने ही कंट्रोवर्शियल बयान की वजह से फस गए. वरुण गांधी ने अपने बयान में राहुल गांधी की तारीफ कर कंट्रोवर्सी क्रिएट कर दी थी. उन्होंने कहा था कि 'मैं राजनीति के नए रूप में कदम रखना चाहता हूं. हमें विकास के लिए लघु उद्योगों की जरूरत है, जिस तरह राहुल जी ने अमेठी में स्व-सहायता समूह बनाए हैं. हालांकि उसके कुछ देर बाद ही वो अपने बयान से पलट गए और बोले 'मैंने इस बात का जवाब दिया था कि क्या मैं अमेठी में की गई कोशिशों के बारे में जानता हूं। मैंने कहा था कि मैंने अमेठी में स्व-सहायता समूहों के काम को नहीं देखा है. मैंने सुना है कि वह काफी अच्छा है. इसे किसी राजनीतिक दल या उम्मीदवार के समर्थन के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए.'