अकीदत के साथ अदा की ईद की नमाज, एक दूसरे के गले मिलकर बांटी ईद की खुशियां.
फिजां में बिखरी ईद की खुशियां..
नये कपड़ों में सज-धज कर लोग गये एक-दूसरे के घर, सिवईं खिलाकर मनाया त्योहार
शहर के तमाम ईदगाहों और मस्जिदों मे ईद की नमाज पूरे अकीदत और एहतराम के साथ पढ़ी गई. ईद की खास नमाज के लिए सुबह से ही नमाजियों का जुटान होने लगा था. अलग-अलग मस्जिदों में सुबह साढ़े सात से 10 बजे तक का वक्त नमाज के लिए मुकर्रर था. नमाज पढऩे के लिए बच्चों, नौजवानों और बुजुर्गों की भीड़ ईदगाहों की तरफ बढ़ती ही चली जा रही थी.
मस्जिद ज्ञानवापी में मौलाना अब्दुल आखिर नोमानी, ईदगाह हकीम सलामत अली पितरकुंडा में शाही इमाम मुफ्ती-ए-शहर मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी, मस्जिद बैतुस्सलाम डेवढिय़ाबीर में काजी-ए-शहर मौलाना मुफ्ती गुलाम यासीन, मस्जिद लंगड़े हाफिज नई सड़क में मौलाना जकीउल्लाह असदुल कादरी, मस्जिद लाट सरैयां में मौलाना जियाउर्रहमान, नदेसर जामा मस्जिद में मौलाना मजहरुल हक, बड़ी ईदगाह महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ रोड में मौलाना शमीम अहमद ने ईद की नमाज अदा करायी.
शिया मस्जिदों में भी ईद की नमाज अदा की गयी. दरगाह फातमान में मौलाना अकील हुसैनी, सदर इमाम बाड़ा लाट सरैयां में मौलाना जफर हुसैनी ने तथा मस्जिद डिप्टी जाफर बख्त शिवाला में मौलाना गुलाम फाकिर ने नमाज पढ़ाई.
ईद के दिन हर रसोई से लजीज पकवानों की गमक उठती रही. लोगों ने सेवइयों को अलग अलग रूप और अंदाज में अपने मेहमानों के पेश किया. लोगों के यहां आने जाने का सिलसिला देर रात तक चलता रहा.
शहर का यूथ क्लास की भीड़ तो मॉल्स में उमड़ी दिखी. बहुत से लोगों ने पिकनिक पर माने की प्लैनिंग की थी. बस फिर क्या था कोई अपने परिवार के साथ तो कोई दोस्तों के साथ ईद की खुशियां मनाता दिखा.
यूथ क्लास का तो ड्रेंसिंग स्टाइल ही देखने लायक था. किसी ने जींस पर कुर्ता पहन रखा था, तो कोई स्टाइलिश बैलून फिट पायजामे में जंच रहा था.
कुर्ते की वरॉयटी इतनी थी कि जैसे लगा हर कुर्ता अलग डिजाइन का है. ट्रेडिशनल कुर्ता-पायजामा तो फैशन के इस दौर में कहीं गुम-सा नजर आया.
सफेद के अलावा अलग-अलग चटख रंगों में कुर्ता पहने लोग ईद की खुशियां मनाते नजर आये. कुर्ते का कपड़ा भी ऐसा वैसा नहीं, लिनेन का था. कुर्तों की इंब्रायडरी उसकी खासियत का बखान कर रही थी.