मौनी अमावस्या पर गंगा में हजारों ने लगाई डुबकी, तन और मन को किया पवित्र.
पुण्य की डुबकी को उमड़ा रेला...
श्रद्धालु सूर्य की पहली किरण का इंतजार कर रहे थे और जैसे ही पूर्व दिशा में उनके आगमन का उजाला दिखा लोग हर हर गंगे के उद्घोष के साथ गंगा की गोद में उतर पड़े. स्नान, दान का सिलसिला जो शुरू हुआ तो शाम तक चलता रहा.
स्नान की खास बात यह रही कि जैसे जैसे सूर्य ऊपर चढ़े, वैसे वैसे लोगों की भीड़ घाटों पर बढ़ती ही गई. श्रद्धालुओं ने स्नान करने के बाद दान देकर पर्व की परंपरा निभायी. स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने बाबा दरबार में भी हाजिरी लगाई. मौनी अमावस्या के दिन भी खिचड़ी खाने की परंपरा है जिसका लोगों ने निर्वाह किया.
घाटों पर उमड़ रही भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस की ओर से यातायात प्रतिबंध लागू किया था. लक्सा से आगे किसी वाहन को जाने नहीं दिया जा रहा था. इसी तरह चौक और बेनियाबाग के आगे भी वाहनों का प्रवेश वर्जित था.
घाटों पर और शहर में बड़ी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई थी. श्रद्धालुओं को रिक्शा, ऑटो करने के लिए लंबी दूरी तक पैदल यात्रा करनी पड़ी.