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सुर पर झूमे लय पर घूमे ताल पर नाचे लोग

8 photos    |   Updated Date: Tue, 04 Nov 2014 23:34:05 (IST)
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गंगा महोत्सव के दूसरी शाम को दिग्गज कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से बनाया खास

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दूसरी शाम की पहली प्रस्तुति के रूप में प्रख्यात भरनाट्यम डांसर गीता चंद्रन और उनके गु्रप ने मंच संभाला. उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुआत देवी स्तुति 'या देवी सर्वभूतेषुÓ से की. उसके बाद उन्होंने आदि शंकराचार्य की रचना जय जय हे महिषासुर मर्दिनी को नृत्य के माध्यम से मंच पर उपस्थित किया.

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कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने भगवान कृष्ण के महारास का दृश्य उपस्थित किया. उनके सहयोगी कलाकारों के साथ राग मलिका पर आधारित भरतनाट्यम की मौलिक शैली में हितहरिवंश की रचना खेलत रास ब्रजराज ब्रजमंडल के बोलों के भाव रूप को देखकर दर्शक भाव विभोर हो उठे.

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भाव मुद्राओं में अवतारी कृष्ण का बांकापन और बलिहारी गोपियों का अल्हड़पन जीवंत हुआ.

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उसके बाद उन्होंने कवि विद्यापति की रचना पर आधारित राधिका की भाव व्यंजना प्रस्तुत की. अपने कार्यक्रम का समापन उन्होंने शिवस्तुति से किया.

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कार्यक्रम की अगली कड़ी में प्रख्यात वायलिन वादक एल सुब्रमण्यम ने मंच संभाला. वायलिन के तारों पर उनकी सधी उंगलियों की थिरकन ने सुरों का अजब ही संसार उपस्थित किया. श्रोता मंत्रमुग्ध होकर उनके वायलिन से निकल रहे सूरों पर झूमते रहे.

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उनके बाद प्रख्यात शास्त्रीय गायक पद्मभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र ने अपनी गायकी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.

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उनके बाद शाहिद परवेज ने सितार के तारों को झंकृत कर समां बांध दिया. उन्होंने अलग अलग रागों में राग अलाप और झाला प्रस्तुत कर श्रोताओं की वाहवाही बटोरी.

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