अंतिम दिन के कार्यक्रम की शुरुआत सैय्यद सलाउद्दीन पाशा के गु्रप ने अपनी शानदार प्रस्तुति से की. उनके गु्रप के मेंबर्स ने इस बात का एहसास ही नहीं होने दिया कि उन्हें भगवान ने अपनी हर नेमत से नहीं नवाजा है.
रुहानी संगीत से गूंजा गंगा तट
भरतनाट्यम नृत्य शैली में पैरों की थिरकन और व्हील चेयर के पहियों के साथ जुगलबंदी कर लोगों को आश्चर्य के सागर में डुबो दिया.
सबसे पहले उनके गु्रप ने सूफी गीत की धुनों पर व्हील चेयर के पहियों को नचाया. उसके बाद उन्होंने भगवद्गीता के श्लोकों को भी नृत्य के माध्यम से मंच पर परोसा. अपने कार्यक्रम का समापन उन्होंने 'मां तुझे सलामÓ पर प्रस्तुति के साथ किया.
कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति के रूप में प्रख्यात सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खां ने मंच संभाला. सरोद के नाजुक तारों पर मचलती उनकी उंगलियों ने श्रोताओं के मन के तारों को भी झंकृत किया. उन्होंने सबसे पहले राग खमाज में निबद्ध दो रचनाएं प्रस्तुत की. उसके बाद तराना सुना कर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया. उन्हेांने अपने कार्यक्रम का समापन चारुकेशी से किया. तबले पर उनका साथ सत्यजीत तलवलकर व शिव महाराज ने दिया.
हर कोई इस खास माहौल में डूबा सा नजर आया. इसके पहले यूपी के गवर्नर राम नाईक ने गंगा महोत्सव के औपचारिक समापन की घोषणा की. उन्होंने कहा कि गंगा सिर्फ एक नदी नहीं बल्कि एक संस्कृति है. इसे प्रदूषण से मुक्त करने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा. उन्होंने काशी की प्राचीनता और गंगा के महत्व को भी बताया. कार्यक्रम में कमिश्नर आरएम श्रीवास्तव, एसएसपी जोगेन्द्र कुमार आदि आला अधिकारी मौजूद थे.
प्रख्यात सूफी गायक वडाली बंधुओं ने अपने खास अंदाज और आवाज से माहौल को सूफियाना रंगत दी तो वहीं फेमस सरोद वादक अमजद अली खां ने मन के तारों को झंकृत किया. कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति के रूप में प्रख्यात सूफी सिंगर वडाली बंधुओं ने मंच संभाला और गंगा तट पर रुहानी संगीत का एक अलग ही माहौल बना दिया.