बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी स्थित केएन उडप्पा ऑडिटोरियल में इग्नू वाराणसी रीजनल सेंटर के स्टूडेंट्स का कन्वोकेशन आयोजित था.
'हत्यारा' जो बना इग्नू का गोल्ड मेडलिस्ट
इस मौके पर डिग्री लेने वालों की भीड़ में 23 साल का एक शख्स भी शामिल था जो जेल की सिक्योरिटी के साथ वहां पहुंचा था.
इस उपलब्धि में उसका साथ देने के लिए घर से उसके माता-पिता को भी खासतौर से दीक्षांत समारोह में बुलाया गया था.
अजीत कुमार नाम के इस युवक का नाम जब डिप्लोमा इन टूरिज्म स्टडीज के टॉपर के रूप में पुकारा गया तो पूरा हाल तालियों से गूंज उठा.
इग्नू के 28वें दीक्षांत समारोह में वाराणसी सेंटर पर चीफ गेस्ट के रूप में पहुंचे डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. जीसी जायसवाल ने अजीत को गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया.
ये नजारा देख अजीत के पिता के आंखों से आंसू निकल पड़े. उनके आंसू देख हर कोई भावुक हो उठा.
खुशी ये आंसू ऐसे थे तो रूकने का नाम ही नहीं ले रहे थे. अजीत के पिता ने सपने भी नहीं सोचा था कि उनके बेटे के लिए कभी इस तरह तालियां भी बजेंगी.
अजीत ने भी खुशी से गोल्ड मेडल को चूम लिया.
जमीन से जुड़े विवाद में अजीत की पिटाई से उसकी पड़ोसी की जान चली गई. कोर्ट ने 2012 में उसे दस साल की कैद की सजा सुनाई. अजीत को अपने किया पर पछतावा है. वह कुछ अलग करके अपने पाप का पश्चाताप करना चाहता है इसलिए वो पढ़ाई कर रहा है.
अजीत ने यहां दो शब्द बोलने की इच्छा जाहिर की और जब बताया कि जेल में रहते हुए उसे टूरिज्म स्टडीज से पहले ही वह इग्नू से ह्यूमन राइट्स, डिजास्टर मैनेजमेंट, एनजीओ मैनेजमेंट और फूड एंड न्यूट्रिशन में डिप्लोमा कर चुका है तो सभी हैरान रह गए. इन सभी कोर्सेज में उसने 65 फीसदी से ज्यादा माक्र्स हासिल किए हैं. अजीत ने बताया कि वह रोजाना छ घंटे पढ़ाई करता है.
अजीत ने कहा कि उसे अपने किए पर पछतावा है और इसलिए वह सजा का हकदार भी है लेकिन मां-बाप आज भी उसे निर्दोष मानते हैं. यही उसके लिए सबसे खुशी की बात है. वह आगे भी पढ़ता रहेगा.