डालमिया इससे पहले 2001 से 2004 तक बीसीसीआइ अध्यक्ष रहे थे. वैसे उन्होंने इसके बाद 2013-14 में भी थोड़े समय के लिए अध्यक्ष पद का दायित्व संभाला था जब श्रीनिवासन आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले की जांच के चलते बीसीसीआइ अध्यक्ष पद से हटे थे. 1979 में बीसीसीआइ से जुडऩे के बाद वह कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. 1997 में डालमिया आइसीसी के अध्यक्ष चुने गये थे.
जाने बीसीसीआई के नए चेयरमैन जगमोहन डालमिया को
कभी विकेटों के पीछे खड़ा रहने वाला एक नौजवान भारतीय क्रिकेट को अपने बूते बहुत आगे ले जाएगा, ये शायद ही किसी ने सोचा होगा. वो शख्स कोई और नहीं, बल्कि जगमोहन डालमिया हैं. क्रिकेट की दुनिया में जब भी बेहतरीन प्रशासकों की बात होती है तो पहला नाम यकीनन डालमिया का ही आता है. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) में लंबी पारी खेल चुके डालमिया एक बार फिर ‘बोर्ड के बॉस’ बन गए हैं.
कोलकाता की क्रिकेट बिरादरी में ‘जग्गू दा’ के नाम से मशहूर डालमिया का बीसीसीआइ से साढ़े तीन दशकों से भी पुराना नाता है. वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) तक की कमान बखूबी संभाल चुके हैं. हालांकि एक समय ऐसा भी आया था, जब उनको चुनाव लडऩे से प्रतिबंधित कर दिया गया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानते हुए वापसी की. इसके साथ ही उनके नाम के साथ ‘कम बैक मैन’ का भी तमगा चस्पा हो गया. जून, 2013 में श्रीनिवासन के अस्थायी तौर पर पद से हटने के बाद डालमिया बोर्ड के अंतरिम अध्यक्ष बने. इसके पीछे भी कहीं न कहीं उनका ‘मास्टर स्ट्रोक’ था.
बहुत कम लोगों को मालूम है कि डालमिया कॉलेज के दिनों में क्रिकेटर थे. वह स्कॉटिश चर्च कॉलेज की क्रिकेट टीम के विकेटकीपर थे. वह कई क्रिकेट क्लबों के लिए भी बतौर विकेटकीपर खेले थे. वह एक बार दोहरा शतक भी जड़ चुके हैं. बीसीसीआइ के साथ उनकी जुगलबंदी 1979 में शुरू हुई. 1983 में जब भारतीय क्रिकेट टीम ने कपिल देव की कप्तानी में पहला विश्व कप जीता था, तब वह बोर्ड के कोषाध्यक्ष थे. दक्षिण एशिया में 1987 और 1996 में क्रिकेट विश्व कप के आयोजन का श्रेय उन्हीं को जाता है. 1997 में वह निर्विरोध आइसीसी के अध्यक्ष चुने गए और तीन वर्षों तक उन्होंने यह पदभार संभाला. वह कई बार बीसीसीआइ अध्यक्ष बने.
जिंदगी में कभी न कभी बुरा वक्त सबका आता है. डालमिया भी अपवाद नहीं रहे. बीसीसीआइ में शरद पवार गुट के सक्रिय होने पर 2006 में डालमिया को फंड के गबन के आरोप में बीसीसीआइ से हटा दिया गया. उन्होंने इस फैसले को बांबे हाईकोर्ट और उसके बाद सुïप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. डालमिया के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हो पाया और उन्हें सभी मामलों में बरी कर दिया गया. डालमिया को क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल (सीएबी) के अध्यक्ष पद का चुनाव लडऩे से भी रोका गया. उन्होंने इस फैसले को भी कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी. जुलाई, 2007 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए उन्हें चुनाव लडऩे की अनुमति दे दी. डालमिया ने चुनाव लड़ा और जीता भी.