जब से बिहार में शराब पर पाबंदी लगी है, यूपी और झारखंड के बड़े कारोबारी यहां नजर गड़ाए बैठे हैं.
"खूब छलक रहे हैं जाम"
सूत्रों की मानें तो यूपी के कुशीनगर जिले का एक व्यापारी है जिसकी बॉर्डर क्षेत्र में कई दुकानें हैं, वह बड़ी खेप उठाता है और बिहार में पहुंचा देता है.
कई कारोबारी झारखंड के हैं, जिनका नाम चर्चा में है.
दोनों प्रदेशों से बिहार में संचालित शराब के अवैध कारोबार उजागर होने के बाद उत्पाद विभाग ने यूपी के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर 3.2 किमी एवं 5 किमी के दायरे में शराब की दुकान नहीं खोले जाने की मांग की.
सीएम ने भी यूपी से शराबबंदी में सहयोग के लिए कहा था लेकिन असर उलटा ही हुआ.
यूपी में न केवल कीमत कम कर दी गई बल्कि बॉर्डर पर नए वित्तीय वर्ष से शराब की दुकान व उठान भी बढ़ा दी गई.
शराबबंदी के बाद भी शराब का पाया जाना इस बात का संकेत है कि जिम्मेदारों की संलिप्तता है, जो उजागर भी हुई.
उत्पाद विभाग के 1 अप्रैल से 30 मई के आंकड़ों पर गौर करें तो शराब के कारोबार को बढ़ावा देने और इसका अवैध रूप से सेवन करने के आरोप में 7 पदाधिकारियों को बर्खास्त किया गया है.
इसमें 3 अवर निरीक्षक उत्पाद हैं और 1 सहायक अवर निरीक्षक, 2उत्पाद सिपाही व 1 चालक शामिल है.
छपरा में 6 मई को पुलिस ने पवनसुत इंटर प्राइजेज हार्डवेयर के गोदाम से 900 लीटर देसी शराब बरामद किया.
हंसराजपुरी थाना क्षेत्र में इस बड़ी खेप को खपाने के लिए रखा गया था.
सैकड़ों पेटी बीयर भी बरामद हुई. एक व्यवसायी व दो अन्य को अरेस्ट भी किया गया.
यह बड़ा खुलासा पुलिस की सक्रियता से हुआ. हालांकि इसे लेकर चर्चा क्षेत्र में बड़े कारोबार को लेकर भी रही.पं.बंगाल से सटे किशनगंज जिले में पुलिस ने 27 अप्रैल को बड़ी मात्रा में शराब बरामद की तथा 10 लोगों को जेल भेजा. यह कार्रवाई तब हुई जब क्षेत्र के लोगों ने शराब के अवैध कारोबार की शिकायत की. इसके पहले भी कई बड़ी बरामदगी हुई.
पुलिस सूत्रों का कहना है कि बंगाल से शराब की खेप आती है. कार्रवाई तब होती है जब अधिकारियों तक शिकायत पहुंचती है. शेखपुरा में 6 मई को दो ट्रैक्टर से शराब बरामद तो हुई, लेकिन इस मामले में पुलिस भी सवालों से घिर गई. अवैध शराब कारोबार में पुलिस का चेहरा भी उजागर हुआ. सोशल मीडिया पर फोटो वायरल हुई जो शेखपुरा की थी. इसमें पुलिस ही बच्चों से शराब ढुलवा रही थी.